अब रेंट पर घर देने से पहले करना होगा ये रजिस्ट्रेशन – नया किराया कानून Rent Agreement Registration 2025

भारत में किराए पर घर देना और लेना बहुत आम बात है। हर साल लाखों लोग अपने घर या प्रॉपर्टी को किराए पर देते हैं, और उतने ही लोग किराए पर घर लेते भी हैं। लेकिन अक्सर देखा जाता है कि मकान मालिक और किरायेदार के बीच विवाद हो जाते हैं, जिनका हल निकालना मुश्किल हो जाता है। इन विवादों को कम करने और दोनों पक्षों की सुरक्षा के लिए सरकार ने Rent Agreement Registration 2025 के तहत नए नियम बनाए हैं। अब मकान मालिकों को अपनी प्रॉपर्टी किराए पर देने से पहले रेंट एग्रीमेंट का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। इससे न सिर्फ दोनों पक्षों के अधिकारों की रक्षा होगी, बल्कि भविष्य में किसी भी विवाद की स्थिति में कानूनी समाधान भी आसान हो जाएगा।

पहले लोग सिर्फ 100 रुपये के स्टाम्प पेपर पर एग्रीमेंट बना लेते थे, जो कानूनी रूप से मान्य नहीं होता था। अब नया कानून कहता है कि सिर्फ रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट ही मान्य होगा। इससे किराए पर दी गई प्रॉपर्टी की सुरक्षा बढ़ेगी और दोनों पक्षों के अधिकार भी सुरक्षित रहेंगे। इस लेख में आप जानेंगे कि नया किराया कानून क्या है, रेंट एग्रीमेंट रजिस्ट्रेशन क्यों जरूरी है, इसकी प्रक्रिया क्या है, और इससे जुड़े सभी जरूरी पहलू।

What is Rent Agreement Registration 2025? (Rent Agreement Registration 2025 क्या है?)

Rent Agreement Registration 2025 एक नया नियम है, जिसके तहत अब मकान मालिकों को अपनी प्रॉपर्टी किराए पर देने से पहले रेंट एग्रीमेंट का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। इसका मुख्य उद्देश्य मकान मालिक और किरायेदार दोनों के हितों की रक्षा करना है। रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट एक कानूनी दस्तावेज होता है, जो भविष्य में किसी भी विवाद की स्थिति में सटीक समाधान प्रदान करता है। सरकार ने इस प्रक्रिया को आसान और सस्ता बनाने के लिए स्टाम्प शुल्क भी कम कर दिया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग अपने एग्रीमेंट को रजिस्टर करा सकें।

पहलूविवरण
लागू होने की तिथि2025 से
रजिस्ट्रेशन की आवश्यकता11 महीने से अधिक के एग्रीमेंट के लिए अनिवार्य, कुछ राज्यों में 1 साल से कम के लिए भी
स्टाम्प शुल्क₹500 से ₹20,000 तक, संपत्ति और अवधि के अनुसार
ऑनलाइन प्रक्रियाकई राज्यों में ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा
महिलाओं को छूटप्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन पर 1% स्टाम्प शुल्क की छूट
कानूनी सुरक्षाकेवल रजिस्टर्ड एग्रीमेंट की शर्तें ही मान्य
विवाद समाधानकोर्ट में दावा सिर्फ लिखित शर्तों पर ही किया जा सकता
जरूरी दस्तावेजपहचान पत्र, प्रॉपर्टी डिटेल्स, गवाहों की जानकारी, फोटो आदि

नया किराया कानून 2025: मुख्य बातें

  • अब रेंट पर घर देने से पहले Rent Agreement Registration कराना जरूरी है।
  • रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट ही कानूनी रूप से मान्य होगा।
  • स्टाम्प शुल्क को कम किया गया है—₹500 से ₹20,000 तक।
  • ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा उपलब्ध है।
  • महिलाओं को प्रॉपर्टी रजिस्ट्रेशन पर 1% स्टाम्प शुल्क की छूट मिलेगी।
  • विवाद की स्थिति में कोर्ट में सिर्फ लिखित शर्तों पर ही दावा किया जा सकता है।
  • रजिस्ट्रेशन न कराने पर मकान मालिक को जुर्माना और जेल तक हो सकती है (कुछ राज्यों में)।

रेंट एग्रीमेंट रजिस्ट्रेशन क्यों जरूरी है?

  • यह कानूनी दस्तावेज होता है, जिससे दोनों पक्षों के अधिकार सुरक्षित रहते हैं।
  • भविष्य में किसी भी विवाद का समाधान आसान बनता है।
  • मौखिक समझौतों से बचाव होता है।
  • प्रॉपर्टी की सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
  • किरायेदार को गैरकानूनी मांगों और बेदखली से सुरक्षा मिलती है।

नया किराया कानून 2025 के तहत रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया

ऑफलाइन प्रक्रिया

  • मकान मालिक और किरायेदार दोनों को सब-रजिस्ट्रार ऑफिस जाना होगा।
  • जरूरी दस्तावेज जैसे पहचान पत्र, प्रॉपर्टी डिटेल्स, गवाहों की जानकारी जमा करनी होगी।
  • स्टाम्प शुल्क का भुगतान करना होगा।
  • रेंट एग्रीमेंट तैयार करवा कर रजिस्ट्रार के सामने साइन कराना होगा।
  • रजिस्ट्रेशन के बाद आपको रजिस्टर्ड एग्रीमेंट की कॉपी मिल जाएगी।

ऑनलाइन प्रक्रिया

  • राज्य की ई-रजिस्ट्रेशन वेबसाइट पर जाएं।
  • प्रोफाइल बनाएं और प्रॉपर्टी डिटेल्स भरें।
  • ऑनलाइन स्टाम्प शुल्क का भुगतान करें।
  • ई-स्टाम्प पेपर पर एग्रीमेंट तैयार करें।
  • डिजिटल साइन के बाद रजिस्टर्ड एग्रीमेंट डाउनलोड कर सकते हैं।

जरूरी दस्तावेज

  • आधार कार्ड/पासपोर्ट/वोटर आईडी (मकान मालिक और किरायेदार दोनों का)
  • प्रॉपर्टी के दस्तावेज (बिजली बिल, टैक्स रसीद आदि)
  • पासपोर्ट साइज फोटो
  • पैन कार्ड (अगर जरूरी हो)
  • गवाहों की जानकारी

रेंट एग्रीमेंट रजिस्ट्रेशन के फायदे

  • कानूनी सुरक्षा: रजिस्टर्ड एग्रीमेंट ही कोर्ट में मान्य होता है।
  • विवाद समाधान: किसी भी विवाद की स्थिति में लिखित शर्तों के आधार पर फैसला लिया जाता है।
  • पारदर्शिता: दोनों पक्षों के अधिकार और जिम्मेदारियां स्पष्ट रहती हैं।
  • महिलाओं को लाभ: महिलाओं को स्टाम्प शुल्क में छूट मिलती है।
  • ऑनलाइन सुविधा: घर बैठे रजिस्ट्रेशन की सुविधा, समय और पैसे की बचत।

नया किराया कानून 2025: राज्यों के अनुसार बदलाव

राज्यरजिस्ट्रेशन की अनिवार्यतास्टाम्प शुल्कऑनलाइन सुविधा
उत्तर प्रदेश11 महीने से अधिक के लिए जरूरी₹500-₹20,000हां
राजस्थान1 साल से कम के लिए भी जरूरी10 लाख तक की संपत्ति पर ₹200हां
महाराष्ट्रसभी रेंट एग्रीमेंट के लिए जरूरीअवधि और किराए के अनुसारहां
दिल्ली11 महीने से अधिक के लिए जरूरीअवधि और किराए के अनुसारहां
अन्य राज्यराज्य नियमों के अनुसारराज्य नियमों के अनुसारकुछ राज्यों में

नया किराया कानून 2025 के तहत मकान मालिक और किरायेदार के अधिकार

मकान मालिक के अधिकार

  • किराएदार से समय पर किराया लेने का अधिकार।
  • प्रॉपर्टी की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  • रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के अनुसार शर्तें लागू करना।
  • जरूरत पड़ने पर बेदखली की कानूनी प्रक्रिया शुरू करना।

किरायेदार के अधिकार

  • गैरकानूनी बेदखली से सुरक्षा।
  • प्रॉपर्टी का शांतिपूर्ण उपयोग।
  • रजिस्टर्ड एग्रीमेंट के अनुसार सुविधाओं का लाभ।
  • किसी भी विवाद की स्थिति में कोर्ट में दावा करना।

नया किराया कानून 2025: स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रेशन फीस

किराए की अवधिस्टाम्प शुल्करजिस्ट्रेशन फीस
11 महीने तक₹500 से शुरू₹1,000-₹2,000
1 साल से अधिक₹500-₹20,000 तक (किराए के अनुसार)₹1,000-₹5,000
10 लाख तक की संपत्ति₹200 (कुछ राज्यों में)₹1,000
महिलाओं के लिए1% छूटराज्य नियमों के अनुसार

नया किराया कानून 2025: मकान मालिक और किरायेदार के लिए जरूरी सुझाव

  • हमेशा रजिस्टर्ड रेंट एग्रीमेंट ही बनवाएं।
  • सभी शर्तें लिखित रूप में रखें।
  • स्टाम्प शुल्क और रजिस्ट्रेशन फीस समय पर भरें।
  • ऑनलाइन प्रक्रिया का लाभ उठाएं।
  • महिलाओं के लिए छूट का लाभ लें।

किरायेदारी कानून 2025 में विवाद समाधान

नया किराया कानून मकान मालिक और किरायेदार के बीच विवादों को जल्दी सुलझाने के लिए रेंट कोर्ट्स और रेंट ट्रिब्यूनल्स बनाने का भी प्रावधान देता है। इससे दोनों पक्षों को कानूनी अधिकार मिलते हैं और कोई भी किसी की प्रॉपर्टी पर जबरन कब्जा नहीं कर सकता। मकान मालिक बिना कारण किरायेदार को परेशान नहीं कर सकता और किरायेदार भी समय पर किराया न देने या प्रॉपर्टी का गलत इस्तेमाल करने पर कानूनी कार्रवाई का सामना कर सकता है।

Rent Agreement Registration 2025 में डॉक्युमेंट्स की पूरी लिस्ट

  • पहचान पत्र: आधार कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस
  • एड्रेस प्रूफ: बिजली बिल, पानी बिल, बैंक स्टेटमेंट, पुराना रेंट एग्रीमेंट (अगर हो)
  • इनकम प्रूफ: सैलरी स्लिप, बैंक स्टेटमेंट, इनकम टैक्स रिटर्न
  • पासपोर्ट साइज फोटो: मकान मालिक और किरायेदार दोनों की
  • प्रॉपर्टी ओनरशिप प्रूफ: टाइटल डीड, सेल डीड
  • रेंट एग्रीमेंट ड्राफ्ट: दोनों पक्षों द्वारा साइन किया हुआ
  • सिक्योरिटी डिपॉजिट रिसिप्ट: जमा राशि का प्रमाण
  • नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC): हाउसिंग सोसाइटी या मकान मालिक से (अगर जरूरी हो)
  • जॉब प्रूफ: ऑफर लेटर, जॉब आईडी कार्ड (अगर किरायेदार जॉब में है)
  • गवाहों की जानकारी और आईडी प्रूफ

नया किराया कानून 2025: कुछ जरूरी बातें

  • मकान मालिक को किरायेदार की पुलिस वेरिफिकेशन कराना जरूरी है।
  • सभी शर्तें जैसे किराया, सिक्योरिटी डिपॉजिट, मेंटेनेंस चार्ज, किराया बढ़ोतरी आदि लिखित में होनी चाहिए।
  • किरायेदार को घर खाली करने के लिए कम से कम 24 घंटे का नोटिस देना जरूरी है।
  • अगर किरायेदार लगातार दो महीने तक किराया नहीं देता या प्रॉपर्टी का गलत इस्तेमाल करता है, तभी उसे निकाला जा सकता है।
  • कमर्शियल प्रॉपर्टी के लिए अधिकतम 6 महीने का सिक्योरिटी डिपॉजिट लिया जा सकता है।
  • अगर रेंट एग्रीमेंट खत्म होने के बाद भी किरायेदार घर खाली नहीं करता, तो मकान मालिक दोगुना या चार गुना तक किराया मांग सकता है।

निष्कर्ष

Rent Agreement Registration 2025 के लागू होने से मकान मालिक और किरायेदार दोनों के अधिकार सुरक्षित रहेंगे। अब रेंट पर घर देने से पहले रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है, जिससे भविष्य में किसी भी विवाद का समाधान आसान हो जाएगा। सरकार ने प्रक्रिया को आसान और सस्ता बनाया है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग कानूनी सुरक्षा का लाभ उठा सकें। अगर आप भी घर किराए पर देना या लेना चाहते हैं, तो नया किराया कानून जरूर पढ़ें और रजिस्टर्ड एग्रीमेंट ही बनवाएं।

Disclaimer:

यह लेख केवल जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। Rent Agreement Registration 2025 कानून का उद्देश्य दोनों पक्षों के हितों की रक्षा करना है, लेकिन हर राज्य के नियम अलग हो सकते हैं। कृपया अपने राज्य के नियम जरूर जांचें। यह योजना पूरी तरह से असली है और सरकार द्वारा लागू की जा रही है, लेकिन किसी भी कानूनी प्रक्रिया से पहले स्थानीय अथॉरिटी या वकील की सलाह जरूर लें।

Author

  • Kajal Kumari

    Kajal Kumari is an experienced writer with over 7 years of expertise in creating engaging and informative content. With a strong educational background in literature and communication.

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