80% लोगों को नहीं पता सिर्फ Registry से नहीं बनते Owner, जानिए Property Ownership के 7 जरूरी Documents

भारत में प्रॉपर्टी खरीदना या बेचना जीवन के सबसे बड़े फैसलों में से एक है। बहुत से लोग मानते हैं कि सिर्फ रजिस्ट्री (Sale Deed) करवा लेने से ही वे संपत्ति के मालिक बन जाते हैं, लेकिन असलियत में प्रॉपर्टी ओनरशिप (Property Ownership) साबित करने के लिए कई कानूनी दस्तावेजों की जरूरत होती है।

अगर आपके पास सभी जरूरी दस्तावेज नहीं हैं, तो भविष्य में संपत्ति विवाद, लोन, ट्रांसफर या बिक्री में दिक्कत आ सकती है। इसलिए, हर प्रॉपर्टी खरीदार और मालिक को यह जानना जरूरी है कि सिर्फ रजिस्ट्री ही नहीं, बल्कि कौन-कौन से डॉक्युमेंट्स प्रॉपर्टी ओनरशिप के लिए अनिवार्य हैं।

आजकल प्रॉपर्टी से जुड़े फर्जीवाड़े, डुप्लीकेट रजिस्ट्री, पुराने लोन या लीगल क्लेम जैसी समस्याएं आम हो गई हैं। ऐसे में सही और पूरे दस्तावेज रखना आपकी संपत्ति को कानूनी सुरक्षा देता है।

हर राज्य और शहर में प्रॉपर्टी खरीदने-बेचने के नियम अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ डॉक्युमेंट्स पूरे भारत में अनिवार्य और मान्य हैं। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि Property Owner बनने के लिए कौन-कौन से दस्तावेज जरूरी हैं, उनकी क्या अहमियत है, और सिर्फ रजिस्ट्री क्यों काफी नहीं है।

Property Ownership Documents

बिंदुविवरण
सबसे जरूरी दस्तावेजसेल डीड (Sale Deed), टाइटल डीड (Title Deed)
अन्य जरूरी डॉक्युमेंट्सएन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट, पजेशन लेटर, कंप्लीशन/ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट
टैक्स से जुड़े दस्तावेजप्रॉपर्टी टैक्स रसीद, म्युटेशन सर्टिफिकेट
स्थानीय निकाय के दस्तावेजखाता सर्टिफिकेट, बिल्डिंग प्लान अप्रूवल
कानूनी स्थिति के डॉक्युमेंट्सनो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC), लीगल सर्च रिपोर्ट
बैंकिंग/लोन के लिएबैंक रिलीज लेटर, पावर ऑफ अटॉर्नी
ग्राम पंचायत क्षेत्र मेंम्युटेशन रजिस्टर एक्सट्रैक्ट, भूमि उपयोग परिवर्तन प्रमाणपत्र
अन्यसोसाइटी NOC, बिल्डर अलॉटमेंट लेटर, पजेशन लेटर

सिर्फ रजिस्ट्री क्यों काफी नहीं?

बहुत से लोग सोचते हैं कि रजिस्ट्री यानी Sale Deed हो गई तो वे संपत्ति के मालिक बन गए। लेकिन असल में रजिस्ट्री सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया है, जिससे प्रॉपर्टी का ट्रांसफर दर्ज होता है।

लेकिन ओनरशिप साबित करने के लिए आपको कई अन्य डॉक्युमेंट्स की जरूरत होती है, जैसे कि टाइटल डीड, एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट, टैक्स रसीद, म्युटेशन सर्टिफिकेट आदि।

अगर इन दस्तावेजों में कोई कमी है, तो भविष्य में प्रॉपर्टी पर दावा, लोन, लीगल ट्रांजैक्शन या ट्रांसफर में दिक्कत आ सकती है।

रजिस्ट्री के साथ जरूरी दस्तावेज क्यों?

  • क्लियर टाइटल: Sale Deed के साथ टाइटल डीड, एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट आदि से प्रॉपर्टी का क्लियर टाइटल साबित होता है।
  • लीगल प्रोटेक्शन: सभी डॉक्युमेंट्स से संपत्ति पर कोई लीगल क्लेम, बकाया लोन या विवाद नहीं है, यह प्रमाणित होता है।
  • लोन/ट्रांसफर में आसानी: बैंक, कोर्ट या सरकारी विभाग तभी प्रॉपर्टी को मान्यता देंगे जब सारे डॉक्युमेंट्स पूरे हों।

Property Owner बनने के लिए जरूरी दस्तावेज

1. सेल डीड

  • सबसे जरूरी और मूल दस्तावेज, जिससे प्रॉपर्टी का मालिकाना हक मिलता है।
  • रजिस्ट्री ऑफिस में रजिस्टर्ड होना जरूरी।
  • इसमें प्रॉपर्टी की डिटेल, कीमत, खरीदार-बेचने वाले का नाम, ट्रांसफर की तारीख आदि दर्ज होती है।

2. टाइटल डीड

  • प्रॉपर्टी के मालिकाना हक और ट्रांसफर की पूरी चेन दिखाता है।
  • पुराने मालिकों से लेकर वर्तमान ओनर तक की पूरी हिस्ट्री।
  • टाइटल क्लियर होना चाहिए, तभी लोन, ट्रांसफर या बिक्री संभव है।

3. एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट

  • प्रॉपर्टी पर कोई लोन, बकाया, कोर्ट केस या कानूनी क्लेम नहीं है, इसका प्रमाण।
  • बैंक लोन के लिए जरूरी।
  • Form 16 (नो ड्यूज), Form 15 (अगर कोई क्लेम है।

4. प्रॉपर्टी टैक्स रसीद

  • सभी टैक्स का भुगतान हुआ है, इसका प्रमाण।
  • पुराने मालिक से लेकर वर्तमान तक की रसीदें संभालें।
  • टैक्स बकाया होने पर लोन या ट्रांसफर में दिक्कत आ सकती है।

5. म्युटेशन सर्टिफिकेट

  • सरकारी रिकॉर्ड में प्रॉपर्टी का नाम किसके नाम दर्ज है, इसका प्रमाण।
  • ग्राम पंचायत, नगर निगम या नगर पालिका से मिलता है।
  • ट्रांसफर, विरासत, गिफ्ट आदि में जरूरी।

6. बिल्डिंग प्लान अप्रूवल

  • स्थानीय निकाय से स्वीकृत नक्शा।
  • बिना अप्रूवल के निर्माण अवैध माना जाता है।
    • लोन, ट्रांसफर या बिक्री में जरूरी।

7. कंप्लीशन सर्टिफिकेट

  • निर्माण पूरा होने के बाद स्थानीय निकाय से जारी।
  • यह प्रमाणित करता है कि निर्माण स्वीकृत प्लान के अनुसार हुआ है।

8. ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट

  • स्थानीय निकाय से जारी, यह बताता है कि भवन रहने लायक है।
  • लोन, रजिस्ट्रेशन, बिजली-पानी कनेक्शन के लिए जरूरी।

9. पजेशन लेटर

  • बिल्डर/सेलर से खरीदार को प्रॉपर्टी सौंपने का प्रमाण।
  • इसमें पजेशन की तारीख, शर्तें आदि होती हैं।

10. नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट

  • सोसाइटी, बैंक, बिल्डर, नगर निगम, फायर डिपार्टमेंट, बिजली विभाग आदि से।
  • लोन, ट्रांसफर या बिक्री में जरूरी।

11. खाता सर्टिफिकेट

  • प्रॉपर्टी का स्थानीय निकाय में रजिस्ट्रेशन।
  • टैक्स, लोन, ट्रांसफर के लिए जरूरी।

12. म्युटेशन रजिस्टर एक्सट्रैक्ट

  • ग्राम पंचायत क्षेत्र में पुराने मालिकों का रिकॉर्ड।
  • ग्रामीण संपत्ति में अनिवार्य।

13. भूमि उपयोग परिवर्तन प्रमाणपत्र

  • कृषि से गैर-कृषि (रेजिडेंशियल/कमर्शियल) उपयोग के लिए।
  • नगर निगम या ग्राम पंचायत से लिया जाता है।

14. बिल्डर अलॉटमेंट लेटर/सोसाइटी NOC

  • बिल्डर से फ्लैट/प्लॉट अलॉटमेंट का प्रमाण।
  • सोसाइटी से NOC, ट्रांसफर या बिक्री के लिए जरूरी।

15. बैंक रिलीज लेटर/पावर ऑफ अटॉर्नी

  • अगर प्रॉपर्टी पर लोन था, तो बैंक से नो ड्यूज/रिलीज लेटर।
  • पावर ऑफ अटॉर्नी (अगर खरीदार की ओर से कोई और ट्रांजैक्शन कर रहा हो)।

Property Ownership Documents: डिटेल में समझें

Sale Deed और Title Deed में फर्क

  • Sale Deed: यह प्रॉपर्टी ट्रांसफर का कानूनी दस्तावेज है, जो रजिस्ट्री ऑफिस में रजिस्टर्ड होता है।
  • Title Deed: यह प्रॉपर्टी के मालिकाना हक की चेन दिखाता है, यानी प्रॉपर्टी का असली मालिक कौन है और कैसे ट्रांसफर हुआ।

Encumbrance Certificate क्यों जरूरी?

  • यह दिखाता है कि प्रॉपर्टी पर कोई लोन, कोर्ट केस, बकाया या कानूनी क्लेम नहीं है।
  • यह 15 साल तक के सभी ट्रांजैक्शन का रिकॉर्ड देता है, जिससे प्रॉपर्टी की क्लीन हिस्ट्री पता चलती है।

Mutation Certificate और Khata Certificate का महत्व

  • Mutation Certificate सरकारी रिकॉर्ड में नाम दर्ज करने के लिए जरूरी है।
  • Khata Certificate स्थानीय निकाय में प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन और टैक्स के लिए जरूरी है।

Completion/Occupancy Certificate

  • Completion Certificate बताता है कि निर्माण स्वीकृत प्लान के अनुसार पूरा हुआ।
  • Occupancy Certificate से पता चलता है कि भवन रहने लायक है और सभी नियमों का पालन हुआ है।

प्रॉपर्टी खरीदते समय जरूरी सावधानियां

  • सभी डॉक्युमेंट्स की मूल/अटेस्टेड कॉपी जरूर लें।
  • वकील या रियल एस्टेट एक्सपर्ट से डॉक्युमेंट्स की जांच कराएं।
  • प्रॉपर्टी की चेन ऑफ टाइटल, लोन, कोर्ट केस आदि की जांच करें।
  • बिल्डर या सोसाइटी से NOC जरूर लें।
  • सरकारी पोर्टल पर प्रॉपर्टी रिकॉर्ड चेक करें।

निष्कर्ष

Property Owner बनने के लिए सिर्फ रजिस्ट्री कराना काफी नहीं है। आपको सेल डीड, टाइटल डीड, एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट, टैक्स रसीद, म्युटेशन, बिल्डिंग प्लान अप्रूवल, कंप्लीशन/ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट, पजेशन लेटर, NOC, खाता सर्टिफिकेट जैसे सभी जरूरी दस्तावेज पूरे और सुरक्षित रखने चाहिए।

इससे न सिर्फ आपकी संपत्ति सुरक्षित रहती है, बल्कि भविष्य में लोन, ट्रांसफर, विरासत, या बिक्री में कोई कानूनी दिक्कत नहीं आती। हमेशा सभी दस्तावेज वकील से जांचकर ही प्रॉपर्टी खरीदें या बेचें।

Disclaimer: यह लेख प्रॉपर्टी ओनरशिप से जुड़े दस्तावेजों की जानकारी, विभिन्न रियल एस्टेट पोर्टल्स, कानूनी गाइडलाइंस और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है। दस्तावेजों की सूची राज्य और प्रॉपर्टी के प्रकार के अनुसार बदल सकती है।

किसी भी प्रॉपर्टी ट्रांजैक्शन से पहले सभी दस्तावेजों की जांच, वकील या रियल एस्टेट एक्सपर्ट की सलाह और सरकारी नियमों का पालन जरूर करें। केवल रजिस्ट्री कराना पर्याप्त नहीं है, सभी जरूरी डॉक्युमेंट्स पूरे होने पर ही आप कानूनी रूप से Property Owner माने जाएंगे।

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