भारत में जब भी आप 10, 20, 50, 100 या 500 रुपये का नोट देखते हैं, तो एक चीज़ हमेशा समान मिलती है—महात्मा गांधी की मुस्कुराती हुई तस्वीर।
क्या आपने कभी सोचा है कि इतने बड़े देश में, जहां कई महान नेता और स्वतंत्रता सेनानी हुए, वहां सिर्फ गांधीजी की तस्वीर ही हर नोट पर क्यों छपती है? यह सवाल बहुत लोगों के मन में आता है और हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस रहस्य से पर्दा उठाया है।
आजादी से पहले भारतीय मुद्रा पर ब्रिटिश राजा या उपनिवेशवाद से जुड़े चिन्ह होते थे। आजादी के बाद जब भारत ने अपनी खुद की करेंसी बनानी शुरू की, तो यह बड़ा सवाल था कि नोटों पर किसकी तस्वीर होनी चाहिए।
देश में रवींद्रनाथ टैगोर, मदर टेरेसा, मौलाना अबुल कलाम आजाद जैसे कई महान नामों पर विचार किया गया, लेकिन आखिरकार महात्मा गांधी के नाम पर सहमति बनी।
History of Gandhi’s Image on Indian Currency Notes
भारतीय नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर पहली बार 2 अक्टूबर 1969 को उनके जन्म शताब्दी वर्ष के मौके पर 100 रुपये के स्मारक नोट पर छपी थी।
इसके बाद 1987 में पहली बार नियमित नोटों पर गांधीजी की तस्वीर छापी गई। तब से लेकर आज तक, सभी प्रमुख मूल्य के नोटों पर उनकी ही तस्वीर छपती आ रही है।
नोटों पर छपी गांधीजी की तस्वीर कोई कार्टून या काल्पनिक चित्र नहीं है, बल्कि यह 1946 में खींची गई एक असली फोटो है। इस फोटो में गांधीजी ब्रिटिश राजनीतिज्ञ लॉर्ड फ्रेडरिक विलियम पेथिक-लॉरेंस के साथ खड़े हैं। इस तस्वीर को इसलिए चुना गया क्योंकि इसमें गांधीजी की मुस्कुराती हुई छवि सबसे उपयुक्त मानी गई।
क्यों चुनी गई सिर्फ महात्मा गांधी की तस्वीर?
RBI के अनुसार, भारतीय नोटों पर किसकी तस्वीर होनी चाहिए, इस पर कई नामों पर विस्तार से चर्चा हुई थी। रवींद्रनाथ टैगोर और मदर टेरेसा जैसे नामों पर भी विचार किया गया।
लेकिन अंत में महात्मा गांधी के नाम पर इसलिए सहमति बनी क्योंकि उनका स्वतंत्रता संग्राम में नेतृत्व और समाज में उनकी व्यापक स्वीकार्यता सबसे ज्यादा थी। गांधीजी की छवि देश-विदेश में इतनी प्रसिद्ध है कि यह भारतीय मुद्रा की पहचान को भी मजबूत बनाती है।
एक और वजह यह है कि किसी प्रसिद्ध व्यक्ति की तस्वीर नोट पर होने से असली और नकली नोट की पहचान करना आसान हो जाता है। अगर नकली नोट का डिजाइन सही नहीं है, तो गांधीजी की तस्वीर से लोग तुरंत पहचान सकते हैं कि नोट असली है या नहीं। इससे नोट की सुरक्षा भी बढ़ती है।
नोटों के डिजाइन और प्रक्रिया
भारतीय नोटों का डिजाइन तैयार करने की जिम्मेदारी RBI के मुद्रा प्रबंधन विभाग की होती है। नोट के डिजाइन, रूप और सामग्री को केंद्रीय बैंक और केंद्र सरकार की मंजूरी मिलती है। RBI अधिनियम, 1934 की धारा 25 के अनुसार, नोट का अंतिम डिजाइन केंद्र सरकार की सहमति से ही तय होता है।
नोटों पर गांधीजी की तस्वीर के अलावा, कई सुरक्षा फीचर्स भी होते हैं, जैसे वाटरमार्क, सिक्योरिटी थ्रेड, और माइक्रो-लेटरिंग, जिससे नोट की पहचान और अधिक आसान हो जाती है।
क्या भविष्य में किसी और की तस्वीर आ सकती है?
RBI और सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि भारतीय नोटों पर किसकी तस्वीर हो, इस पर समय-समय पर विचार किया जाता है।
हालांकि, फिलहाल गांधीजी की तस्वीर ही सबसे उपयुक्त और सर्वमान्य मानी जाती है। उनकी छवि भारतीय संस्कृति, स्वतंत्रता और अहिंसा के प्रतीक के रूप में देखी जाती है, जो देश की पहचान को दर्शाती है।
निष्कर्ष
भारतीय नोटों पर महात्मा गांधी की तस्वीर होना सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि देश की एकता, स्वतंत्रता और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है। गांधीजी की छवि हर भारतीय के लिए प्रेरणा है, और इसी वजह से उनकी तस्वीर आज भी हर नोट पर छपती है।
RBI के हालिया खुलासे से यह बात और भी स्पष्ट हो गई है कि गांधीजी की तस्वीर भारतीय मुद्रा की पहचान का अहम हिस्सा है।