आज के समय में लोन लेना बहुत आसान हो गया है। लोग घर खरीदने, गाड़ी लेने, बच्चों की पढ़ाई, मेडिकल इमरजेंसी या बिजनेस के लिए भी लोन लेते हैं। लेकिन कई बार आर्थिक तंगी, नौकरी छूटना, बीमारी या अन्य वजहों से लोग समय पर लोन की EMI नहीं भर पाते।
ऐसे में बैंक या NBFC (नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी) बार-बार फोन, नोटिस या रिकवरी एजेंट भेजकर वसूली की कोशिश करते हैं। बहुत से लोग डर जाते हैं कि अब उनके पास कोई अधिकार नहीं है। लेकिन RBI के नियमों के मुताबिक, अगर आप लोन नहीं चुका पा रहे हैं, तो भी आपके पास कई कानूनी अधिकार होते हैं।
RBI ने बैंकों और वित्तीय संस्थानों को निर्देश दिए हैं कि वे डिफॉल्टर के साथ सम्मान और पारदर्शिता से पेश आएं। लोन न चुका पाना कोई अपराध नहीं है, जब तक उसमें धोखाधड़ी या जानबूझकर न चुकाने की मंशा न हो।
अगर आप genuine कारणों से लोन नहीं चुका पा रहे हैं, तो आपको अपने अधिकारों की जानकारी जरूर होनी चाहिए। आइए जानते हैं, लोन डिफॉल्ट की स्थिति में आपके पास कौन-कौन से कानूनी अधिकार हैं और RBI की क्या गाइडलाइंस हैं।
5 Major Legal Rights of a Loan Defaulter
अधिकार/नियम | विवरण |
नोटिस पाने का अधिकार | बैंक/एनबीएफसी को रिकवरी से पहले लिखित नोटिस देना जरूरी है |
निष्पक्ष मूल्य का अधिकार | गिरवी रखी संपत्ति की बिक्री में उचित मूल्य की जानकारी देना जरूरी |
सुनवाई का अधिकार | कर्जदार को अपनी बात रखने और आपत्ति दर्ज कराने का अधिकार |
सम्मानजनक व्यवहार का अधिकार | रिकवरी एजेंट धमकी, गाली या जबरदस्ती नहीं कर सकते |
शिकायत दर्ज करने का अधिकार | बैंक की गलत/अवैध रिकवरी पर शिकायत करने का अधिकार |
समझौते/री-स्ट्रक्चरिंग का अधिकार | genuine समस्या में लोन री-स्ट्रक्चरिंग या समझौते की सुविधा |
शेष राशि का दावा | संपत्ति बेचने के बाद बची रकम कर्जदार को लौटाना अनिवार्य |
समय सीमा का अधिकार | रिकवरी एजेंट सुबह 8 से शाम 7 बजे के बीच ही मिल सकते हैं |
1. नोटिस पाने का अधिकार
अगर आप लोन की EMI नहीं चुका पा रहे हैं, तो बैंक या NBFC को सबसे पहले आपको लिखित नोटिस भेजना जरूरी है।
यह नोटिस आमतौर पर 60-90 दिन की अवधि के लिए होता है, जिसमें आपको बकाया राशि चुकाने का अंतिम मौका दिया जाता है। बिना नोटिस के बैंक आपकी संपत्ति जब्त या अन्य कानूनी कार्रवाई नहीं कर सकते।
- नोटिस में लोन डिफॉल्ट की डिटेल, बकाया राशि, और अगली कार्रवाई की पूरी जानकारी होनी चाहिए।
- अगर लोन सिक्योर्ड है (जैसे होम लोन), तो SARFAESI Act के तहत 60 दिन का नोटिस अनिवार्य है।
2. निष्पक्ष मूल्य का अधिकार
अगर आपने कोई संपत्ति (जैसे घर, गाड़ी) गिरवी रखी थी और बैंक उसे जब्त कर लेता है, तो बैंक को संपत्ति का उचित मूल्यांकन करना जरूरी है। संपत्ति को बेचने से पहले आपको उसकी कीमत और बिक्री की जानकारी देना जरूरी है।
- संपत्ति बेचने के बाद अगर बिक्री राशि लोन से ज्यादा है, तो बची हुई रकम आपको लौटाई जाएगी।
- कर्जदार को संपत्ति की बिक्री में भाग लेने या आपत्ति दर्ज कराने का अधिकार है।
3. सुनवाई का अधिकार
नोटिस मिलने के बाद कर्जदार को अपनी बात रखने, आपत्ति दर्ज कराने या बैंक से बातचीत करने का पूरा अधिकार है।
- आप बैंक को लिखित में अपनी समस्या, कारण या कोई समाधान (जैसे लोन री-स्ट्रक्चरिंग) के लिए आवेदन कर सकते हैं।
- बैंक को आपकी आपत्ति का जवाब देना जरूरी है।
4. सम्मानजनक व्यवहार का अधिकार
RBI के Fair Practices Code के अनुसार, बैंक या रिकवरी एजेंट कर्जदार के साथ सम्मानजनक और सभ्य व्यवहार करेंगे।
- रिकवरी एजेंट धमकी, गाली-गलौज, जबरदस्ती, या हिंसा नहीं कर सकते।
- रिकवरी एजेंट सुबह 8 बजे से पहले और शाम 7 बजे के बाद संपर्क नहीं कर सकते।
- अगर रिकवरी एजेंट गलत व्यवहार करते हैं, तो आप बैंक में शिकायत या पुलिस में FIR दर्ज करा सकते हैं।
5. शिकायत दर्ज करने का अधिकार
अगर बैंक या रिकवरी एजेंट ने आपके साथ गलत व्यवहार किया है या RBI के नियमों का उल्लंघन किया है, तो आप बैंक की ग्रिवांस सेल, बैंकिंग लोकपाल (Ombudsman) या कंज्यूमर कोर्ट में शिकायत कर सकते हैं।
- बैंक को आपकी शिकायत का जवाब 30 दिन में देना जरूरी है।
- अगर बैंक समाधान नहीं करता, तो आप RBI या उपभोक्ता फोरम में जा सकते हैं।
6. समझौते या लोन री-स्ट्रक्चरिंग का अधिकार
अगर आपकी आर्थिक स्थिति genuine है, तो आप बैंक से लोन री-स्ट्रक्चरिंग (EMI घटाना, अवधि बढ़ाना, कुछ समय की छूट) या समझौते (settlement) का अनुरोध कर सकते हैं।
- बैंक आपकी स्थिति देखकर राहत दे सकता है, जैसे मोराटोरियम, पार्ट पेमेंट, या फाइनल सेटलमेंट।
7. शेष राशि का दावा
अगर बैंक ने आपकी संपत्ति बेचकर लोन रिकवर कर लिया और रकम बच गई, तो वह रकम आपको मिलनी चाहिए।
लोन डिफॉल्ट पर बैंक की प्रक्रिया
- EMI मिस होने पर: बैंक SMS/कॉल/ईमेल से रिमाइंडर भेजता है।
- बार-बार डिफॉल्ट: नोटिस भेजा जाता है (60-90 दिन का)।
- समझौता/री-स्ट्रक्चरिंग: genuine केस में बैंक राहत दे सकता है।
- रिकवरी एजेंट: नोटिस के बाद ही एजेंट भेजे जाते हैं, वे नियमों का पालन करेंगे।
- संपत्ति जब्ती: सिक्योर्ड लोन में बैंक संपत्ति जब्त कर सकता है, लेकिन उचित प्रक्रिया के तहत।
- संपत्ति बिक्री: उचित मूल्य पर बिक्री, बची रकम लौटाना।
- कानूनी कार्रवाई: 180 दिन से ज्यादा डिफॉल्ट पर सिविल केस, धोखाधड़ी में क्रिमिनल केस।
लोन डिफॉल्ट के दुष्प्रभाव
- क्रेडिट स्कोर गिरना: भविष्य में लोन या क्रेडिट कार्ड मिलना मुश्किल।
- सिविल केस: बैंक सिविल कोर्ट या DRT में केस कर सकता है।
- संपत्ति जब्ती: सिक्योर्ड लोन में संपत्ति जब्त हो सकती है।
- नो-फ्रॉड केस: अगर डिफॉल्ट जानबूझकर (wilful defaulter) है, तो सख्त कार्रवाई, लेकिन genuine केस में राहत।
लोन डिफॉल्ट में ग्राहकों के लिए सुझाव
- बैंक से संवाद बनाए रखें, genuine समस्या बताएं।
- नोटिस, SMS, ईमेल का जवाब जरूर दें।
- रिकवरी एजेंट के गलत व्यवहार पर तुरंत शिकायत करें।
- समझौते या री-स्ट्रक्चरिंग के लिए आवेदन करें।
- अपनी क्रेडिट रिपोर्ट नियमित जांचें।
- जरूरत पड़ने पर लीगल सलाह लें।
लोन डिफॉल्ट में RBI की नई गाइडलाइंस 2025
- डिजिटल रिकवरी: ऑनलाइन रिकवरी एजेंट भी ग्राहक को धमकी नहीं दे सकते।
- डेटा सुरक्षा: ग्राहक की जानकारी सुरक्षित रखना जरूरी।
- फेयर प्रैक्टिस: रिकवरी में किसी भी तरह की जबरदस्ती, डराना-धमकाना, बदसलूकी पर रोक।
- ग्राहक की सहमति: कोई भी रिकवरी प्रक्रिया ग्राहक को सूचित किए बिना नहीं की जा सकती।
निष्कर्ष
RBI के नियमों के मुताबिक, लोन न चुका पाने की स्थिति में भी ग्राहकों के अधिकार सुरक्षित हैं। बैंक या NBFC को पारदर्शिता, सम्मान और उचित प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है।
अगर आप genuine समस्या के कारण लोन नहीं चुका पा रहे हैं, तो घबराएं नहीं—अपने अधिकारों का इस्तेमाल करें, बैंक से संवाद बनाए रखें और जरूरत पड़ने पर शिकायत या लीगल मदद लें। इससे न सिर्फ आपकी परेशानी कम होगी, बल्कि बैंक भी आपके साथ उचित व्यवहार करेगा।
Disclaimer: यह आर्टिकल 5 जून 2025 तक लागू RBI गाइडलाइंस और बैंकिंग नियमों पर आधारित है। यहां दी गई जानकारी पूरी तरह वास्तविक और RBI के नियमों के अनुसार है। किसी भी कानूनी या वित्तीय निर्णय से पहले अपने बैंक या वित्तीय सलाहकार से सलाह जरूर लें।