आज के डिजिटल युग में भले ही ऑनलाइन पेमेंट और UPI का चलन बढ़ गया हो, लेकिन आज भी करोड़ों लोग लेन-देन के लिए बैंक चेक का इस्तेमाल करते हैं। चेक से भुगतान करना सुविधाजनक है, लेकिन इसमें थोड़ी सी लापरवाही आपको बड़ी मुसीबत में डाल सकती है।
कई बार लोग बिना सोचे-समझे या भरोसे के चलते किसी को चेक दे देते हैं, लेकिन अगर वह चेक बाउंस हो जाए तो न सिर्फ आपकी साख खराब होती है, बल्कि आपको कोर्ट-कचहरी के चक्कर और जेल तक की सजा भी हो सकती है। हाल ही में चेक बाउंस से जुड़े नियम और सजा पहले से कहीं ज्यादा सख्त कर दिए गए हैं।
चेक बाउंस के मामले में अब दो साल तक की जेल, चेक राशि के दोगुने तक जुर्माना, खाता फ्रीज और कोर्ट फीस जैसी सख्त सजा का प्रावधान है।
कई बार लोग सोचते हैं कि चेक तो सिर्फ सुरक्षा के लिए या पोस्ट-डेटेड दिया गया है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट का साफ कहना है कि चेक चाहे किसी भी मकसद से दिया गया हो, अगर बाउंस होता है तो कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
इसलिए चेक देने से पहले सभी नियम, खाते में बैलेंस और कानूनी जोखिम जरूर समझ लें। आइए जानते हैं – चेक बाउंस के नए नियम, किन हालातों में मिलती है जेल की सजा, केस की प्रक्रिया, बचाव के तरीके और इससे जुड़े सभी जरूरी सवालों के जवाब।
Cheque Bounce Rules
बिंदु | विवरण |
कानून | नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881, धारा 138 |
सजा | 2 साल तक की जेल, चेक राशि के दोगुने तक जुर्माना |
बैंक पेनल्टी | ₹100 से ₹750 (बैंक के अनुसार) |
खाता फ्रीज | लगातार 3 बार चेक बाउंस होने पर खाता फ्रीज हो सकता है |
शिकायत का तरीका | ऑनलाइन/ऑफलाइन, डिजिटल सबूत मान्य |
लीगल नोटिस | चेक बाउंस के 30 दिन के भीतर भेजना जरूरी |
भुगतान की अवधि | नोटिस मिलने के 15 दिन के भीतर भुगतान जरूरी |
केस की प्रकृति | आपराधिक (क्रिमिनल) और दीवानी (सिविल) दोनों |
केस खत्म होने का समय | 6 महीने से 2 साल (औसतन), समझौता भी संभव |
सुप्रीम कोर्ट का फैसला | मकसद चाहे जो हो, बाउंस पर कार्रवाई संभव |
चेक बाउंस होने पर क्या होता है?
- बैंक नोटिस: चेक बाउंस होने पर बैंक आपको लिखित नोटिस और बाउंस मेमो देता है।
- लीगल नोटिस: चेक प्राप्तकर्ता को 30 दिन के भीतर चेक जारीकर्ता को लीगल नोटिस भेजना होता है।
- भुगतान का मौका: नोटिस मिलने के 15 दिन के भीतर पैसा लौटाना जरूरी है।
- कोर्ट केस: अगर 15 दिन में भुगतान नहीं किया गया, तो प्राप्तकर्ता कोर्ट में केस दर्ज कर सकता है।
- कोर्ट की सुनवाई: कोर्ट में सुनवाई, बहस और सबूतों के आधार पर फैसला।
- सजा/जुर्माना: दोषी पाए जाने पर दो साल तक की जेल, दोगुना जुर्माना या दोनों।
- समझौता: दोनों पक्ष चाहें तो केस के दौरान समझौता कर सकते हैं।
किन हालातों में मिलती है जेल तक की सजा?
- जानबूझकर (Intentionally) चेक बाउंस करना
- बार-बार चेक बाउंस करना (तीन बार पर खाता फ्रीज भी हो सकता है)
- नोटिस के बाद भी 15 दिन में भुगतान न करना
- कोर्ट में दोषी साबित होना
- सुरक्षा के लिए या पोस्ट-डेटेड चेक भी अगर बाउंस हुआ और पैसा देना बाकी था, तो भी कार्रवाई होगी
Cheque Bounce पर सजा और जुर्माना
- जेल: अधिकतम 2 साल तक की सजा (मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा)
- जुर्माना: चेक राशि के दोगुने तक जुर्माना
- कोर्ट फीस और वकील का खर्च: अलग से देना पड़ सकता है
- बैंक पेनल्टी: ₹100 से ₹750 तक (बैंक के अनुसार)
- खाता फ्रीज: लगातार तीन बार चेक बाउंस होने पर बैंक खाता फ्रीज हो सकता है
Cheque Bounce केस: कानूनी प्रक्रिया
- बैंक से बाउंस मेमो लें
- 30 दिन के भीतर लीगल नोटिस भेजें
- 15 दिन के भीतर भुगतान न हो तो कोर्ट में केस दर्ज करें
- कोर्ट में सुनवाई, सबूत, बहस
- फैसला – दोषी साबित होने पर सजा/जुर्माना
Cheque Bounce से बचाव के तरीके
- चेक देने से पहले खाते में पूरा बैलेंस रखें
- सही सिग्नेचर, डेट, नाम, राशि भरें
- ओवरराइटिंग, कटिंग या गलत डिटेल्स से बचें
- चेक की वैधता (3 महीने) जरूर देखें
- खाली चेक या पोस्ट-डेटेड चेक देने से बचें
- बार-बार चेक बाउंस न करें
Cheque Bounce: नए नियम 2025
- 1 अप्रैल 2025 से नए नियम लागू
- दो साल की जेल और दोगुना जुर्माना का प्रावधान
- लगातार तीन बार चेक बाउंस पर खाता फ्रीज
- ऑनलाइन शिकायत, डिजिटल सबूत मान्य
- सभी बैंकों पर एक जैसी कार्रवाई
Cheque Bounce के आम कारण
- खाते में पर्याप्त बैलेंस न होना
- सिग्नेचर मिसमैच या गलत सिग्नेचर
- ओवरराइटिंग या कटिंग
- चेक की वैधता खत्म होना
- गलत अकाउंट नंबर या डिटेल्स
- खाता बंद या फ्रीज होना
- जाली चेक या कंपनी की मुहर न होना
Cheque Bounce: जरूरी सावधानियाँ
- चेक देने से पहले बैलेंस और डिटेल्स जरूर चेक करें
- सही सिग्नेचर और डेट डालें
- बार-बार चेक बाउंस न करें, वरना खाता फ्रीज हो सकता है
- नोटिस मिलने पर 15 दिन में भुगतान करें
- कोर्ट केस से बचने के लिए समय रहते समाधान करें
निष्कर्ष
चेक बाउंस होना अब सिर्फ छोटी गलती नहीं, बल्कि गंभीर आपराधिक अपराध है। नए नियमों के अनुसार, चेक बाउंस पर दो साल तक की जेल, दोगुना जुर्माना, कोर्ट फीस, खाता फ्रीज जैसी सख्त सजा का प्रावधान है।
सुप्रीम कोर्ट ने भी साफ किया है कि चेक चाहे किसी भी मकसद से दिया गया हो, बाउंस होने पर कार्रवाई संभव है। इसलिए बिना सोचे-समझे या भरोसे के चेक न दें, खाते में पूरा बैलेंस रखें और सभी नियमों का पालन करें। एक छोटी सी लापरवाही आपको कोर्ट कचहरी और जेल तक पहुंचा सकती है।
Disclaimer: यह लेख केवल सूचना और जागरूकता के उद्देश्य से लिखा गया है। चेक बाउंस से जुड़े नियम, सजा और कानूनी प्रक्रिया 2025 के नए नियमों और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों पर आधारित है।
किसी भी कानूनी सलाह या कार्रवाई से पहले किसी योग्य वकील या बैंक अधिकारी से सलाह जरूर लें। यहाँ दी गई जानकारी पूरी तरह वास्तविक है और समय-समय पर कानून में बदलाव संभव है।