आजकल बिहार और पूरे पूर्वी भारत में एक बहुत ही बड़ी और नई खुशखबरी चर्चा में है। भारत सरकार अब दिल्ली से पटना के बीच बुलेट ट्रेन चलाने की योजना को आगे बढ़ा रही है। यह ट्रेन देश के सबसे व्यस्त रूटों में से एक पर चलेगी और आम लोगों के सफर को बहुत आसान बना देगी। कई लोगों को इस योजना से काफी उम्मीद है क्योंकि इससे समय की बचत होगी और सफर का अनुभव भी बदल जाएगा।
फिलहाल दिल्ली से पटना का सफर आम ट्रेन में लगभग 13-14 घंटे लगता है, वहीं बुलेट ट्रेन के शुरू होते ही यही सफर केवल 4 घंटे में पूरा हो सकेगा। इस परियोजना के पूरे होने से बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के लाखों लोगों की जीवनशैली में बहुत बदलाव आने की संभावना है। पटना के साथ अब दिल्ली और हावड़ा के बीच सफर भी तेज होगा, जिससे व्यापार, शिक्षा और टूरिज्म के साथ-साथ स्थानीय लोगों को भी फायदा मिलेगा।
बुलेट ट्रेन से परंपरागत रेल यात्रा के मुकाबले यात्री बहुत कम समय में ज्यादा दूरी तय कर पाएंगे। यह प्रोजेक्ट भारत के बुनियादी ढांचे को मॉडर्न बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम कहा जा सकता है।
बिहार बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट: योजना और रूट
यह बुलेट ट्रेन योजना केंद्र सरकार और भारतीय रेलवे की संयुक्त भागीदारी में चलाई जा रही है। यह भारत की दूसरी सबसे बड़ी बुलेट ट्रेन परियोजना होगी, जो मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के बाद तैयार हो रही है। इस हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर का नाम ‘दिल्ली-हावड़ा बुलेट ट्रेन कॉरिडोर’ है।
इसका कुल रूट 1,669 किलोमीटर लंबा होगा, जिससे दिल्ली से हावड़ा के बीच का सफर केवल 6.5 घंटे में पूरा होगा। दिल्ली से पटना तक का सफर लगभग 1,000 किलोमीटर है, जो अब 4 घंटे से भी कम होगा। पटना से कोलकाता पहुंचने में ही सिर्फ दो घंटे लगेंगे।
बुलेट ट्रेन के रूट में कुल नौ मुख्य स्टेशन बनाए जाएंगे। ट्रेन दिल्ली से स्टार्ट होकर आगरा, कानपुर, लखनऊ, अयोध्या, वाराणसी, फिर पटना, आसनसोल होते हुए हावड़ा पहुंचेगी। बिहार में इसका मुख्य स्टॉप पटना के पास फुलवारी शरीफ में बनाया जाएगा। सत्य यही है कि पटना में 60 किलोमीटर लंबा एलिवेटेड ट्रैक बनेगा, जहाँ से बुलेट ट्रेन चलेगी।
परियोजना की लागत और निर्माण
इस मेगा प्रोजेक्ट की कुल लागत लगभग 5 लाख करोड़ रुपये आँकी गई है। इस राशि का इस्तेमाल नई हाई-स्पीड ट्रैक, स्टेशन, और जरूरी पुल एवं इन्फ्रास्ट्रक्चर बनने में किया जाएगा। सरकार ने इस योजना को दो चरणों में बांटा है। पहले चरण में दिल्ली से वाराणसी तक और दूसरे चरण में वाराणसी से हावड़ा तक निर्माण कार्य किया जाएगा।
कई जिलों और गावों से होकर यह रूट निकलेगा, इसलिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। बिहार के बक्सर, पटना, आरा, जहानाबाद और गया जिलों के लगभग 58 गांवों से यह ट्रेन गुजरेगी। जमीन चुने जाने के बाद अब सरकार ने पटना में 135 हेक्टेयर भूमि चयनित की है जहां स्टेशन और एलिवेटेड ट्रैक तैयार होंगे।
विशेष बात यह है कि अधिकांश जगहों पर नए ट्रैक मौजूदा रेलवे लाइन के साथ-साथ बिछाए जाएंगे। इससे खेतों और आबादी वाली ज़मीन के अधिग्रहण की समस्या और खर्च दोनों में कमी आएगी।
रफ्तार और यात्रियों को फायदा
यह बुलेट ट्रेन 350 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेगी जो भारत में अभी तक का सबसे तेज़ रेल सफर होगा। पटना से दिल्ली या पटना से कोलकाता जैसी लंबी यात्राओं के लिए अब यात्रियों को पूरा दिन या रात नहीं बितानी पड़ेगी। हर किसी को जल्दी पहुँचने का मौका मिलेगा।
इससे ना सिर्फ आम यात्रियों को, बल्की व्यापारियों, स्टूडेंट्स और टूरिस्ट्स को भी भारी फायदा होगा। तकनीक से गाड़ियों की लेट-लतीफी खत्म होगी और कामकाज की दुनिया भी जुड़ जाएगी।
सरकार की योजना और सुविधाएँ
यह पूरी परियोजना ‘नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (NHSRCL)’ की देखरेख में बन रही है। इस कॉरपोरेशन के अनुसार हर यात्री के लिए नए, मॉडर्न और सुविधा संपन्न स्टेशन बनाए जाएंगे। ये स्टेशन पूरी तरह से डिजिटल होंगे और हर तरह की सुविधा यात्रियों को मिलेगी।
इस योजना के तहत भविष्य में किराया आम आदमी के बजट में आने की उम्मीद है ताकि हर कोई इसका लाभ उठा सके। अभी अधिकृत किराए की घोषणा नहीं हुई है, पर सरकार की मंशा यही है कि ये सेवा हवाई यात्रा से सस्ती हो।
परियोजना से क्षेत्र को क्या लाभ मिलेगा
बिहार और पुरे उत्तर भारत के लोगों को बुलेट ट्रेन के आने से समय और पैसा दोनों की बचत होगी। यात्रा आसान होगी, जिससे लोग बड़े सपनों को जल्दी और कम खर्च में पूरा कर पाएंगे। साथ ही आसपास के इलाकों में रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे।
ट्रेन के दौड़ते ही पटना, बक्सर, गया, जहानाबाद, आरा जैसे शहरों का रेलवे नक्शा ही बदल जाएगा। तेज़ सफर और नई टेक्नोलॉजी के साथ बिहार पूरे देश से जुड़ सकेगा।