आज के समय में सोना सिर्फ गहनों के लिए नहीं, बल्कि निवेश के लिए भी सबसे पसंदीदा विकल्प बन गया है। हर साल इसकी कीमत में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है, जिससे आम लोग और निवेशक दोनों ही इसकी ताजा कीमत जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। 2025 में सोने की कीमतों में लगातार तेजी देखी गई है, जिससे लोगों की दिलचस्पी और भी बढ़ गई है।
सोने की कीमतों में बदलाव का असर सिर्फ बाजार तक सीमित नहीं रहता, बल्कि यह आम आदमी की जेब पर भी सीधा असर डालता है। शादी-ब्याह, त्योहार या कोई खास मौका हो, सोना खरीदने का चलन भारत में हमेशा से रहा है। ऐसे में जब भी सोने के भाव में बड़ा बदलाव आता है, तो सभी की नजरें उस पर टिक जाती हैं।
इस साल खास बात यह है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। इससे भारत में भी सोने के दाम में बड़ा उछाल देखने को मिला है। निवेशक, व्यापारी और आम ग्राहक, सभी के लिए यह जानना जरूरी है कि 14 जुलाई 2025 को सोने का क्या भाव रहा और इस बदलाव के पीछे कौन-कौन से कारण हैं।
14 जुलाई 2025 को सोने की कीमत में बड़ा बदलाव
14 जुलाई 2025 को भारत के सर्राफा बाजार में सोने की कीमतों में जबरदस्त तेजी दर्ज की गई। 24 कैरेट शुद्धता वाले 10 ग्राम सोने का भाव 98,450 रुपये के आसपास रहा, जो पिछले दिनों के मुकाबले लगभग 0.24% की बढ़ोतरी है। वहीं, 22 कैरेट सोने की कीमत 91,573 रुपये प्रति 10 ग्राम रही। देश के बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, कोलकाता में भी इसी तरह के रेट देखने को मिले।
इस दिन चांदी की कीमतें भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गईं और 1 किलो चांदी का भाव 1,14,200 रुपये के करीब रहा। सोने की कीमत में यह उछाल अंतरराष्ट्रीय बाजार की मजबूती, डॉलर की कमजोरी और घरेलू मांग के कारण हुआ है।
अगर पिछले एक साल की तुलना करें तो सोने की कीमतों में लगभग 33% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2025 की शुरुआत में सोने का भाव करीब 78,000 रुपये प्रति 10 ग्राम था, जो अब 98,000 रुपये के पार पहुंच गया है। इसका मतलब है कि सोने में निवेश करने वालों को इस साल अच्छा रिटर्न मिला है।
सोने की कीमतों में बदलाव के कारण
सोने की कीमतों में बदलाव के कई कारण होते हैं। सबसे बड़ा कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की मांग और सप्लाई है। जब दुनिया भर में आर्थिक अनिश्चितता बढ़ती है, तो लोग सोने में निवेश करना पसंद करते हैं। इससे इसकी कीमतें बढ़ जाती हैं।
दूसरा कारण डॉलर की कीमत और ब्याज दरों में बदलाव है। जब डॉलर कमजोर होता है या ब्याज दरें कम होती हैं, तो सोने की कीमतें बढ़ने लगती हैं। इसके अलावा, भारत में त्योहार, शादी का सीजन और घरेलू मांग भी सोने के भाव को प्रभावित करते हैं।
2025 में रूस-यूक्रेन युद्ध, वैश्विक आर्थिक संकट और महंगाई के कारण भी सोने की कीमतों में तेजी आई है। साथ ही, भारतीय बाजार में सरकार की तरफ से सोने की खरीद-बिक्री के नियमों में बदलाव और टैक्स की दरें भी कीमतों को प्रभावित करती हैं।
क्या कोई सरकारी योजना या स्कीम है?
भारत सरकार समय-समय पर सोना निवेश को लेकर कई योजनाएं चलाती है। इनमें सबसे प्रमुख है ‘सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम’। इस स्कीम के तहत लोग डिजिटल तरीके से सोने में निवेश कर सकते हैं और उन्हें ब्याज भी मिलता है। यह स्कीम खास तौर पर उन लोगों के लिए है जो फिजिकल गोल्ड खरीदने की बजाय सुरक्षित और आसान निवेश चाहते हैं।
इसके अलावा, गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड भी निवेश के लिए अच्छे विकल्प हैं। इन योजनाओं में निवेश करने पर टैक्स में भी कुछ छूट मिलती है और सोना रखने का रिस्क भी नहीं रहता। सरकार की इन योजनाओं का मकसद लोगों को सुरक्षित, पारदर्शी और फायदेमंद निवेश विकल्प देना है।
निवेशकों के लिए सलाह
अगर आप सोने में निवेश करना चाहते हैं तो बाजार की मौजूदा स्थिति को समझना जरूरी है। 2025 में सोने की कीमतों में तेजी का ट्रेंड जारी है, लेकिन यह हमेशा ऊपर ही जाएगी, इसकी गारंटी नहीं है। इसलिए निवेश से पहले अपने बजट, जरूरत और बाजार के रुझान को जरूर देखें।
सोने में निवेश लंबी अवधि के लिए अच्छा विकल्प माना जाता है। अगर आप फिजिकल गोल्ड खरीदना चाहते हैं तो BIS हॉलमार्क वाला ही सोना लें। डिजिटल गोल्ड, गोल्ड बॉन्ड या गोल्ड फंड में भी निवेश कर सकते हैं, जो सुरक्षित और आसान है।