Indian Currency Facts: 7 दिन में बदल सकते हैं नोट के नियम, पर RBI साइन क्यों रहते हैं फिक्स?

हम सभी ने कभी न कभी अपने बटुए से नोट निकालते समय उस पर मौजूद आरबीआई गवर्नर के हस्ताक्षर जरूर देखे होंगे। ज्यादातर लोग मानते हैं कि ये साइन केवल एक औपचारिकता है, लेकिन असल में इसके पीछे कानूनी, आर्थिक और सुरक्षा से जुड़े कई बड़े कारण छुपे हैं।

भारतीय मुद्रा व्यवस्था में इन हस्ताक्षरों की अहम भूमिका है और इनके बिना कोई भी नोट वैध नहीं माना जाता। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) देश की केंद्रीय बैंक है, जिसे भारतीय मुद्रा छापने और उसे जारी करने का अधिकार मिला हुआ है।

हर नोट पर गवर्नर के साइन इस बात की गारंटी होते हैं कि वह नोट असली है और सरकार की ओर से अधिकृत रूप से जारी किया गया है। ये हस्ताक्षर न सिर्फ नोट की वैधता का प्रमाण हैं, बल्कि आम जनता के विश्वास और मुद्रा की विश्वसनीयता को भी बनाए रखते हैं।

Why are the RBI Governor’s signatures important on currency notes?

भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत RBI को देश में मुद्रा छापने और उसे प्रबंधित करने का अधिकार दिया गया है। इस कानून की धारा 22 के अनुसार, दो रुपये या उससे अधिक के सभी नोटों पर आरबीआई गवर्नर के हस्ताक्षर अनिवार्य हैं।

ये साइन नोट की कानूनी मान्यता का प्रमाण होते हैं, जिससे वह नोट देशभर में लेन-देन के लिए वैध हो जाता है। नोट पर गवर्नर के साइन के साथ एक लाइन भी लिखी होती है – “मैं धारक को … रुपये अदा करने का वचन देता हूं।” इसे बैंकिंग भाषा में प्रॉमिसरी नोट कहा जाता है।

इसका अर्थ है कि आरबीआई गवर्नर नोट के मूल्य के बराबर रकम अदा करने की जिम्मेदारी लेता है। इस वचन के पीछे RBI के पास मौजूद सोना और विदेशी मुद्रा रिजर्व का बैकअप होता है, जिससे नोट की वैल्यू सुरक्षित रहती है।

एक रुपये के नोट पर गवर्नर के साइन क्यों नहीं?

यह एक रोचक तथ्य है कि एक रुपये के नोट पर आरबीआई गवर्नर के हस्ताक्षर नहीं होते। इसका कारण यह है कि एक रुपये का नोट RBI नहीं, बल्कि भारत सरकार का वित्त मंत्रालय जारी करता है।

इसलिए उस पर वित्त मंत्रालय के सचिव के हस्ताक्षर होते हैं, जबकि दो रुपये या उससे अधिक के नोटों पर गवर्नर के साइन जरूरी होते हैं।

नोटों पर साइन बदलने की प्रक्रिया

हर बार जब नया आरबीआई गवर्नर नियुक्त होता है, तो उनके हस्ताक्षर वाले नए नोट जारी किए जाते हैं। पुराने गवर्नर के साइन वाले नोट भी पूरी तरह वैध रहते हैं और उनका चलन जारी रहता है। यह प्रक्रिया मुद्रा प्रणाली की पारदर्शिता और रिकॉर्ड अद्यतन रखने के लिए जरूरी है।

नकली नोटों से बचाव

गवर्नर के हस्ताक्षर नोट की प्रामाणिकता का सबसे बड़ा प्रमाण होते हैं। अगर नोट पर साइन नहीं हैं, तो वह नोट नकली माना जाएगा और उसका कोई कानूनी मूल्य नहीं होगा। यही वजह है कि नकली नोटों की पहचान के लिए सबसे पहले उस पर गवर्नर के साइन देखे जाते हैं।

नोटों की वैधता और भरोसा

नोट पर गवर्नर का साइन केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि यह सरकार और RBI की तरफ से जनता को दिया गया भरोसा है। यह भरोसा है कि आपके पास जो नोट है, उसकी उतनी ही वैल्यू का रिजर्व देश के पास मौजूद है, और जरूरत पड़ने पर उतनी रकम आपको दी जा सकती है।

इसी वजह से भारतीय मुद्रा व्यवस्था में गवर्नर के साइन को रीढ़ की हड्डी माना जाता है।

निष्कर्ष

नोटों पर आरबीआई गवर्नर के साइन भारतीय मुद्रा की वैधता, सुरक्षा और प्रामाणिकता के लिए बेहद जरूरी हैं। ये हस्ताक्षर न केवल नोट की कानूनी मान्यता का प्रमाण हैं, बल्कि जनता के विश्वास और देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती का भी आधार हैं।

अगली बार जब आप नोट देखें, तो उस पर मौजूद गवर्नर के साइन को जरूर पहचानें, क्योंकि यही आपकी मुद्रा को असली और भरोसेमंद बनाते हैं।

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