भारत में बेटियों के संपत्ति अधिकार को लेकर लंबे समय से बहस चलती रही है। परंपरागत सोच और पुराने कानूनों के कारण बेटियों को पैतृक संपत्ति, खासकर खेत-जमीन में बराबरी का हक नहीं मिल पाता था।
कई परिवारों में बेटियों को केवल शादी के बाद विदाई के समय कुछ उपहार देकर संपत्ति से अलग कर दिया जाता था।
हालांकि समय के साथ कानूनों में बदलाव हुए, लेकिन समाज में जागरूकता और बेटियों के हक को लेकर अब भी कई जगह असमंजस बना रहता है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है, जिससे बेटियों को भी पिता की संपत्ति में बेटों के बराबर अधिकार मिल गया है।
यह फैसला बेटियों के लिए एक बड़ी राहत और समाज में समानता की दिशा में अहम कदम है।
अगर आप भी जानना चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट का नया फैसला क्या है, बेटियों को खेत-जमीन और पैतृक संपत्ति में किस तरह का हक मिलेगा, और इससे जुड़े नियम-कायदे क्या हैं, तो यह लेख आपके लिए है।
यहां आपको सुप्रीम कोर्ट के फैसले की पूरी जानकारी, नया कानून, शर्तें और इसका असर विस्तार से मिलेगा।
Daughters Inheritance Law
जानकारी | विवरण |
सुप्रीम कोर्ट का फैसला | बेटियों को पिता की संपत्ति में पूरा हक |
लागू कानून | हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2005 |
लागू धर्म | हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख |
संपत्ति का प्रकार | पैतृक (ancestral) और स्व-अर्जित (self-acquired) |
अधिकार कब से | जन्म से (retroactive effect) |
पिता के जीवित रहने की शर्त | जरूरी नहीं, पिता जीवित हों या न हों |
बेटियों का हिस्सा | बेटों के बराबर |
जिम्मेदारी/देयता | बराबर की हिस्सेदारी, कर्ज आदि में भी |
लागू तिथि | 9 सितंबर 2005 से |
विवाद होने पर | कोर्ट में दावा किया जा सकता है |
Daughters Inheritance Law: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
- 2005 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (Hindu Succession Act) में संशोधन किया गया, जिससे बेटियों को भी पिता की संपत्ति में बेटों के समान अधिकार मिल गया।
- सुप्रीम कोर्ट ने 2020 के अपने फैसले में स्पष्ट किया कि बेटियों को जन्म से ही पैतृक संपत्ति में हिस्सा मिलेगा, चाहे पिता जीवित हों या नहीं।
- बेटियों को अब खेत-जमीन, घर, दुकान, फ्लैट, बैंक बैलेंस जैसी संपत्ति में पूरा हिस्सा मिलेगा।
- यह अधिकार हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख परिवारों पर लागू है।
- बेटियों को अब संपत्ति के साथ-साथ उसमें होने वाले कर्ज, जिम्मेदारी व देनदारियों का भी बराबर हिस्सा मिलेगा।
Daughters Inheritance Law – किन्हें मिलेगा हक?
- हिंदू, बौद्ध, जैन और सिख बेटियां।
- जिनकी पिता की संपत्ति पैतृक या स्व-अर्जित है।
- जिनका जन्म 9 सितंबर 2005 से पहले या बाद में हुआ हो।
- जिनके पिता की मृत्यु 2005 के बाद या पहले हुई हो (कुछ मामलों में)।
- बेटियां शादीशुदा हों या अविवाहित, दोनों को बराबर अधिकार मिलेगा।
बेटियों को खेत-जमीन में हक मिलने के फायदे
- बेटियों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना।
- परिवार में लैंगिक समानता को बढ़ावा।
- बेटियों की सामाजिक स्थिति में सुधार।
- संपत्ति विवादों में बेटियों को कानूनी सुरक्षा।
- बेटियों को भी पैतृक संपत्ति से आय और अधिकार।
- बेटियों के अधिकारों को लेकर जागरूकता बढ़ेगी।
किन मामलों में बेटियों को हक नहीं मिलेगा?
- अगर पिता की मृत्यु 2005 से पहले हो गई और बंटवारे का मुकदमा भी पहले ही निपट गया हो, तो बेटी को हक नहीं मिलेगा।
- अगर संपत्ति मुस्लिम पर्सनल लॉ या किसी अन्य धर्म के तहत आती है, तो यह नियम लागू नहीं होगा।
- कुछ राज्यों में कृषि भूमि के लिए अलग नियम हो सकते हैं, लेकिन अधिकतर राज्यों में बेटियों को भी बराबर का हक मिलेगा।
- अगर पिता ने वसीयत (Will) में संपत्ति किसी और को दे दी है, तो उसमें बेटी का हिस्सा नहीं बनता।
बेटियों के हक से जुड़े जरूरी नियम
- बेटियों को भी पिता की संपत्ति में बेटों के बराबर हिस्सा मिलेगा।
- यह अधिकार जन्म से ही मिल जाता है, शादी के बाद भी खत्म नहीं होता।
- संपत्ति के साथ कर्ज और जिम्मेदारी का भी बराबर हिस्सा।
- अगर परिवार में बेटी को हिस्सा नहीं दिया गया, तो वह कोर्ट में दावा कर सकती है।
- सुप्रीम कोर्ट का फैसला 9 सितंबर 2005 से लागू है।
- यह नियम हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख धर्म पर लागू है।
- पैतृक और स्व-अर्जित दोनों संपत्ति में बेटी का हक है।
- संपत्ति विवाद में कोर्ट का फैसला अंतिम होगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले का असर
- बेटियों को संपत्ति में बराबरी का अधिकार मिलने से समाज में लैंगिक समानता बढ़ेगी।
- परिवारों में संपत्ति विवादों में बेटियों को कानूनी सुरक्षा मिलेगी।
- बेटियां अब आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकेंगी।
- समाज में बेटियों के अधिकारों को लेकर जागरूकता बढ़ेगी।
निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद अब बेटियों को भी खेत-जमीन और पैतृक संपत्ति में पूरा हक मिलेगा। यह फैसला लैंगिक समानता, बेटियों की आर्थिक मजबूती और सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ा कदम है। अगर किसी बेटी को संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलता, तो वह कानून की मदद ले सकती है।
Disclaimer: यह जानकारी सुप्रीम कोर्ट के फैसले, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है।
संपत्ति विवाद या कानूनी सलाह के लिए किसी योग्य वकील से संपर्क करें। नियम राज्य और संपत्ति के प्रकार के अनुसार बदल सकते हैं। अफवाह या गलत जानकारी से बचें और हमेशा अधिकारिक सूचना पर ही भरोसा करें।