11 साल की लापरवाही + 2 जरूरी कागज़ आपके किराएदार को बना सकते हैं घर का मालिक – Property Possession Law

आज के समय में शहरों और कस्बों में मकान किराए पर देना आम बात है। मकान मालिक अपनी संपत्ति से आय अर्जित करने के लिए घर, दुकान या फ्लैट किराए पर देते हैं। वहीं, किराएदार भी कम लागत में रहने या व्यापार के लिए जगह लेते हैं।

लेकिन कई बार मकान मालिकों के मन में यह डर रहता है कि कहीं किराएदार लंबे समय तक रहने के बाद उनकी संपत्ति पर कब्जा न कर ले या मालिक न बन जाए।

इस विषय पर भारतीय कानून क्या कहता है, कितने साल बाद किराएदार मालिक बन सकता है, और मकान मालिकों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए – यह जानना हर प्रॉपर्टी ओनर के लिए जरूरी है।

भारत में किरायेदारी के नियम, रेंट कंट्रोल एक्ट, प्रॉपर्टी ट्रांसफर एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के आधार पर तय होते हैं। मकान मालिक और किराएदार के बीच का रिश्ता पूरी तरह एक कानूनी अनुबंध (रेंट एग्रीमेंट) पर आधारित होता है।

लेकिन अगर मकान मालिक लापरवाही बरतता है, किराएदार पर नजर नहीं रखता या समय पर कानूनी कार्रवाई नहीं करता, तो कानून के तहत किराएदार को भी कुछ अधिकार मिल जाते हैं।

आइए विस्तार से समझते हैं कि कितने साल बाद किराएदार मालिक बन सकता है, और मकान मालिकों को किन सावधानियों की जरूरत है।

Property Possession Law

जानकारीविवरण
कानून का नामप्रतिकूल कब्जा कानून (Adverse Possession Law)
लागू अवधि12 साल (लगातार, बिना आपत्ति)
किस पर लागू होता हैमकान, दुकान, जमीन, कोई भी अचल संपत्ति
जरूरी शर्तेंलगातार कब्जा, बिना विरोध, बिना कानूनी कार्रवाई
किराएदार के अधिकाररेंट एग्रीमेंट, समय पर किराया, मरम्मत, कानूनी सुरक्षा
मकान मालिक के अधिकाररेंट एग्रीमेंट, किराया वसूलना, निरीक्षण, बेदखली का अधिकार
जरूरी दस्तावेजरेंट एग्रीमेंट, किराया रसीद, बिजली-पानी बिल, टैक्स रसीद
बेदखली के लिए क्या करेंनोटिस दें, कोर्ट जाएं, कानूनी प्रक्रिया अपनाएं
सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला12 साल तक कब्जा रहे तो किराएदार मालिकाना हक का दावा कर सकता है6
सावधानियांलिखित अनुबंध, समय-समय पर निरीक्षण, रेंट रसीद, कानूनी सलाह

किरायेदारी कानून (Rent Control Act) और रेंट एग्रीमेंट

  • रेंट एग्रीमेंट (किरायानामा) लिखित और स्टाम्प पेपर पर होना चाहिए।
  • रेंट एग्रीमेंट में किराया, अवधि, नोटिस पीरियड, मरम्मत, किराया बढ़ोतरी, बेदखली की शर्तें स्पष्ट होनी चाहिए।
  • मकान मालिक बिना कानूनी कारण के किराएदार को नहीं निकाल सकता।
  • किराएदार समय पर किराया दे और संपत्ति का नुकसान न करे।
  • मकान मालिक को किराया बढ़ाने के लिए 3 महीने पहले सूचना देनी होगी।
  • रेंट एग्रीमेंट का रिन्यूअल समय-समय पर जरूरी है।

प्रतिकूल कब्जा कानून (Adverse Possession Law) क्या है?

Adverse Possession Law के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति (किराएदार या अन्य) किसी संपत्ति पर 12 साल तक लगातार, बिना विरोध के, मालिक की जानकारी में कब्जा रखता है, तो वह कोर्ट में जाकर उस संपत्ति का मालिकाना हक मांग सकता है।

इस कानून का मकसद यह है कि संपत्ति का असली मालिक अपनी संपत्ति की देखरेख और निगरानी करे, न कि लापरवाही बरते।

महत्वपूर्ण बातें:

  • कब्जा ‘ओपन’ (खुला), ‘कंटीन्यूस’ (लगातार) और ‘पीसफुल’ (शांतिपूर्ण) होना चाहिए।
  • कोई भी कानूनी नोटिस, कोर्ट केस या आपत्ति इस अवधि को तोड़ देती है।
  • अगर किराएदार रेंट एग्रीमेंट के तहत है, तो वह Adverse Possession का दावा नहीं कर सकता, जब तक कि एग्रीमेंट खत्म न हो जाए या मालिक निष्क्रिय न हो जाए।

सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के फैसले

  • सुप्रीम कोर्ट ने 2014 और 2024 में अपने फैसलों में साफ किया है कि अगर मालिक 12 साल तक निष्क्रिय रहता है और किराएदार कब्जा बनाए रखता है, तो मालिकाना हक किराएदार को मिल सकता है6।
  • कोर्ट ने यह भी कहा है कि रेंट एग्रीमेंट और किराया रसीदें इस दावे को कमजोर कर सकती हैं, लेकिन अगर मालिक ने 12 साल तक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की, तो किराएदार का दावा मजबूत हो जाता है।
  • इसलिए मकान मालिकों को अपनी संपत्ति पर समय-समय पर नजर रखना और कानूनी दस्तावेज दुरुस्त रखना जरूरी है।

मकान मालिक और किराएदार के अधिकार

मकान मालिक के अधिकार:

  • संपत्ति किसे किराए पर दे, यह तय करने का अधिकार।
  • समय-समय पर किराया बढ़ाने का अधिकार (नियमों के तहत)।
  • संपत्ति की जांच और निरीक्षण का अधिकार (पूर्व सूचना के साथ)।
  • रेंट एग्रीमेंट का नवीनीकरण और शर्तें तय करने का अधिकार।
  • किराया न मिलने या नियम उल्लंघन पर बेदखली के लिए कोर्ट जाने का अधिकार।

किराएदार के अधिकार:

  • लिखित रेंट एग्रीमेंट की मांग।
  • संपत्ति का शांतिपूर्ण उपयोग।
  • मरम्मत और सुविधाओं की मांग।
  • बिना कानूनी कारण के बेदखली से सुरक्षा।
  • किराया रसीद की मांग।

मकान मालिकों के लिए जरूरी सावधानियां

  • हमेशा लिखित रेंट एग्रीमेंट बनवाएं – स्टाम्प पेपर पर, नोटरी के साथ।
  • रेंट एग्रीमेंट की अवधि 11 महीने या 1 साल रखें और समय-समय पर रिन्यू करें।
  • हर महीने किराया रसीद बनाएं और दोनों पक्षों के हस्ताक्षर करवाएं।
  • बिजली-पानी के बिल, टैक्स आदि अपने नाम पर रखें या किराएदार से भुगतान का सबूत लें।
  • समय-समय पर संपत्ति की जांच करें और फोटो या वीडियो रिकॉर्ड रखें
  • किराएदार को समय-समय पर नोटिस भेजते रहें, खासकर अगर किराया न मिले या नियम टूटे।
  • किराएदार के पुलिस वेरिफिकेशन जरूर कराएं।
  • अगर किराएदार हटाने में दिक्कत हो तो तुरंत कोर्ट में केस करें, 12 साल तक इंतजार न करें।

किराएदार कब नहीं बन सकता मालिक?

  • अगर रेंट एग्रीमेंट है और किराया नियमित दिया जा रहा है।
  • अगर मकान मालिक ने समय-समय पर नोटिस या कानूनी कार्रवाई की है।
  • अगर कब्जा 12 साल से कम है या बीच में बाधा आई है।
  • अगर किराएदार के पास कब्जे के कानूनी दस्तावेज नहीं हैं।
  • अगर मकान मालिक ने संपत्ति की निगरानी की है।

किराएदार के मालिक बनने के लिए जरूरी शर्तें

  • लगातार 12 साल तक कब्जा (कोई ब्रेक नहीं)
  • बिना रेंट एग्रीमेंट या मालिक की आपत्ति के
  • बिजली-पानी बिल, टैक्स खुद भरना
  • कोर्ट में सबूत पेश करना
  • कब्जा शांतिपूर्ण और ओपन होना चाहिए

निष्कर्ष

किराएदार कभी भी 12 साल बाद अपने आप मालिक नहीं बन जाता, लेकिन अगर मकान मालिक लापरवाही करे, रेंट एग्रीमेंट न बनाए, किराया न ले, या कानूनी कार्रवाई न करे, तो 12 साल तक लगातार कब्जा रखने वाला किराएदार कोर्ट में मालिकाना हक का दावा कर सकता है

इसलिए मकान मालिकों को हमेशा लिखित रेंट एग्रीमेंट, समय-समय पर निरीक्षण, किराया रसीद, और कानूनी प्रक्रिया का पालन करना चाहिए। कानून की जानकारी और सतर्कता से ही आपकी संपत्ति सुरक्षित रह सकती है।

Disclaimer: यह लेख भारतीय कानून, सुप्रीम कोर्ट के फैसलों, रेंट कंट्रोल एक्ट और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है।

कानून में समय-समय पर बदलाव हो सकते हैं, इसलिए किसी भी कानूनी विवाद की स्थिति में अनुभवी वकील या विशेषज्ञ से सलाह लें। यह जानकारी पूरी तरह रियल है और 2025 के मौजूदा नियमों पर आधारित है।

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