10 लाख लोगों को मिली बड़ी राहत, अब इतने साल पुराने केस नहीं खुलेंगे – Income Tax New Rules 2025 लागू

हर साल इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने वाले टैक्सपेयर्स के लिए सबसे बड़ी चिंता यही रहती है कि कहीं उनका कोई पुराना मामला दोबारा न खुल जाए

कई बार ऐसा हुआ है कि आयकर विभाग ने सालों पुराने मामलों को फिर से खोलकर नोटिस भेज दिए, जिससे टैक्सपेयर्स को कानूनी पचड़ों और आर्थिक बोझ का सामना करना पड़ा।

लेकिन अब सरकार ने टैक्सपेयर्स को इस मामले में बड़ी राहत दी है। 2025 में लागू हुए नए नियमों के तहत इनकम टैक्स विभाग अब सीमित समय के भीतर ही पुराने मामलों को खोल सकेगा। इससे टैक्सपेयर्स को न सिर्फ मानसिक शांति मिलेगी, बल्कि टैक्स कंप्लायंस भी आसान हो जाएगा।

इस बदलाव का सबसे बड़ा फायदा उन लोगों को होगा, जो ईमानदारी से टैक्स फाइल करते हैं और अपनी इनकम का सही-सही खुलासा करते हैं।

अब उन्हें डर नहीं रहेगा कि 5-10 साल पुराने मामलों के लिए अचानक इनकम टैक्स विभाग का नोटिस आ जाएगा। सरकार का मकसद टैक्स सिस्टम को पारदर्शी और टैक्सपेयर्स फ्रेंडली बनाना है, ताकि लोग बिना डर के टैक्स रिटर्न फाइल करें और देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दें।

Income Tax Old Cases Limit

बिंदुविवरण
सामान्य मामले3 साल (फाइलिंग के वर्ष के अंत से)
50 लाख से ज्यादा छुपी आय5 साल (विशेष मामलों में)
पहले क्या था?6 साल तक सामान्य मामले, गंभीर मामलों में 10 साल तक
नया नियम कब लागू हुआ?2025 से
किसे फायदा?सभी टैक्सपेयर्स, खासकर मिडल क्लास और छोटे व्यापारी
किसे नुकसान?गंभीर टैक्स चोरी या बड़े फ्रॉड करने वालों को
क्या अपील का अधिकार है?हां, टैक्सपेयर्स विभाग के फैसले के खिलाफ अपील कर सकते हैं
किस धारा के तहत?आयकर अधिनियम की धारा 147 और 148

इनकम टैक्स रिटर्न और पुराने मामले: मुख्य बातें

  • सामान्य मामलों में अब विभाग सिर्फ 3 साल तक ही पुराने केस खोल सकता है।
  • 50 लाख से ज्यादा की छुपी आय या गंभीर गड़बड़ी के मामलों में यह सीमा 5 साल है।
  • इससे टैक्सपेयर्स को पुराने मामलों के लिए बार-बार नोटिस आने से राहत मिलेगी।
  • टैक्सपेयर्स को अब रिटर्न फाइलिंग के बाद 3 साल तक ही अपनी डॉक्युमेंटेशन संभालकर रखना जरूरी है।
  • अगर कोई गंभीर टैक्स चोरी या फर्जी दस्तावेज पकड़े जाते हैं, तो विभाग विशेष अनुमति से 5 साल तक के मामले खोल सकता है।
  • अब पुराने मामलों में विभाग को केस खोलने से पहले पर्याप्त सबूत और कारण दिखाना जरूरी होगा।

इनकम टैक्स के नए नियम 2025: टैक्सपेयर्स के लिए अन्य राहतें

1. बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट बढ़ी

  • अब 4 लाख रुपये तक की सालाना टैक्सेबल इनकम पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।
  • पहले यह सीमा 2.5 लाख या 3 लाख रुपये थी।

2. टैक्स स्लैब्स में बदलाव

इनकम रेंजटैक्स दर (2025-26)
0 – 4 लाख0%
4 – 8 लाख5%
8 – 12 लाख10%
12 – 16 लाख15%
16 – 20 लाख20%
20 – 24 लाख25%
24 लाख से ऊपर30%

3. सेक्शन 87A के तहत छूट

  • अब 12 लाख रुपये तक की टैक्स योग्य इनकम पर 60,000 रुपये की छूट मिलेगी।
  • इससे कम और मध्यम आय वालों को टैक्स में बड़ी राहत मिलेगी।

4. ITR फॉर्म्स में बदलाव

  • अब कैपिटल गेन (शेयर, म्यूचुअल फंड, प्रॉपर्टी) की रिपोर्टिंग आसान हो गई है।
  • 1.25 लाख रुपये तक के लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।
  • सैलरी पाने वाले और छोटे व्यापारी अब ITR-1 या ITR-4 फॉर्म से ही रिटर्न फाइल कर सकते हैं।

5. TDS और कटौती की जानकारी

  • अब टैक्सपेयर्स को TDS की जानकारी सेक्शन वाइज देनी होगी।
  • 80C, 80GG जैसी कटौतियों के दावे में भी बदलाव किए गए हैं।

6. ITR फाइलिंग की अंतिम तिथि

  • बिना ऑडिट वाले टैक्सपेयर्स के लिए अंतिम तिथि 31 जुलाई है।

पुराने मामले खोलने के नियम: विस्तार से समझें

आयकर अधिनियम की धारा 147 और 148

  • धारा 147: अगर विभाग को लगता है कि किसी करदाता की आय कर निर्धारण से छूट गई है, तो वह केस दोबारा खोल सकता है।
  • धारा 148: विभाग को नोटिस जारी करने का अधिकार देती है, लेकिन अब यह सिर्फ 3 साल (सामान्य) या 5 साल (विशेष) तक ही सीमित है।

कब नहीं खुलेंगे पुराने मामले?

  • अगर आपकी आय में कोई बड़ी गड़बड़ी नहीं है और आपकी इनकम 50 लाख से कम है, तो 3 साल बाद विभाग केस नहीं खोल सकता
  • अगर विभाग के पास कोई ठोस सबूत नहीं है, तो भी पुराने केस नहीं खोले जा सकते।

किन मामलों में 5 साल तक केस खुल सकता है?

  • अगर 50 लाख रुपये से ज्यादा की छुपी हुई आय है।
  • अगर वह आय किसी संपत्ति, खर्च या लेखांकन से जुड़ी है।
  • अगर फर्जी दस्तावेज या टैक्स चोरी का मामला है।

टैक्सपेयर्स के लिए जरूरी सुझाव

  • हर साल समय पर और सही-सही इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करें।
  • अपनी सभी इनकम और डिडक्शन का सही-सही खुलासा करें।
  • रिटर्न फाइलिंग के बाद कम से कम 3-5 साल तक सभी डॉक्युमेंट्स (फॉर्म 16, बैंक स्टेटमेंट, प्रॉपर्टी पेपर्स, इनवेस्टमेंट प्रूफ) संभालकर रखें।
  • अगर कोई नोटिस मिले तो घबराएं नहीं, समय पर जवाब दें।
  • टैक्स एक्सपर्ट या सीए की मदद लें, खासकर अगर मामला जटिल हो।

टैक्सपेयर्स के लिए राहत: क्यों जरूरी था यह बदलाव?

  • पुराने मामलों के बार-बार खुलने से टैक्सपेयर्स को मानसिक और आर्थिक तनाव होता था।
  • कई बार छोटे-छोटे मामलों में भी सालों बाद नोटिस आ जाते थे, जिससे टैक्सपेयर्स परेशान हो जाते थे।
  • सरकार का मकसद टैक्स सिस्टम को आसान, पारदर्शी और टैक्सपेयर्स फ्रेंडली बनाना है।
  • इससे टैक्सपेयर्स को टैक्स फाइलिंग में भरोसा और सुरक्षा महसूस होगी।

टैक्स विवादों के लिए ‘विवाद से विश्वास 2.0’ स्कीम

सरकार ने टैक्स विवादों को जल्दी और आसान तरीके से निपटाने के लिए ‘विवाद से विश्वास 2.0’ योजना भी लागू की है।

इसके तहत टैक्सपेयर्स अपने लंबित मामलों का सुलह कर सकते हैं, जिससे उन्हें कानूनी लड़ाई और जुर्माने से राहत मिलती है। इस योजना में 31 दिसंबर 2024 तक आवेदन करने वालों को कम निपटान राशि देनी होगी।

निष्कर्ष

2025 में लागू हुए इनकम टैक्स के नए नियमों ने टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत दी है। अब आयकर विभाग सिर्फ 3 साल (सामान्य) या 5 साल (विशेष मामलों में) तक ही पुराने मामले खोल सकता है। इससे टैक्सपेयर्स को पुराने मामलों के लिए बार-बार नोटिस आने का डर नहीं रहेगा।

साथ ही, टैक्स स्लैब, बेसिक एग्जम्प्शन लिमिट, सेक्शन 87A छूट, ITR फॉर्म्स में बदलाव जैसे कई प्रावधानों से टैक्सपेयर्स का बोझ कम हुआ है। सरकार का मकसद टैक्स सिस्टम को सरल, पारदर्शी और टैक्सपेयर्स फ्रेंडली बनाना है।

Disclaimer: यह जानकारी 2025 में लागू इनकम टैक्स नियमों के आधार पर दी गई है। पुराने मामलों को खोलने की समय सीमा में बदलाव दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले और आयकर अधिनियम की धारा 147, 148 के तहत किया गया है। यह बदलाव वास्तविक और लागू है, जिससे टैक्सपेयर्स को राहत मिली है।

हालांकि, गंभीर टैक्स चोरी या विशेष मामलों में विभाग के पास 5 साल तक केस खोलने का अधिकार है। टैक्सपेयर्स को सलाह दी जाती है कि वे अपनी टैक्स फाइलिंग और डॉक्युमेंटेशन में पूरी सावधानी बरतें और जरूरत पड़ने पर टैक्स एक्सपर्ट से सलाह लें।

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