कई बार किराए पर मकान या ऑफिस लेने वाले लोगों से TDS (Tax Deducted at Source) कटौती में गलती हो जाती है, जिससे ज्यादा TDS कट जाता है। ऐसे में परेशान होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि आप ये अतिरिक्त कटा हुआ TDS आसानी से वापस पा सकते हैं।
इस आर्टिकल में हम आपको TDS on Rent से जुड़ी हर जरूरी जानकारी, नियम, प्रक्रिया और रिफंड पाने का आसान तरीका बताएंगे।
आमतौर पर, TDS on Rent का मकसद सरकार को एडवांस में टैक्स मिलना है। लेकिन कई बार नियमों की जानकारी न होने या रेट में बदलाव की वजह से किरायेदार ज्यादा TDS काट लेते हैं।
उदाहरण के लिए, 1 अक्टूबर 2024 से Section 194IB के तहत TDS की दर 5% से घटाकर 2% कर दी गई, लेकिन बहुत से लोगों ने पूरे साल 5% की दर से TDS काटा और जमा कर दिया। ऐसे में अगर आपके साथ भी ऐसा हुआ है, तो आप सरकार से रिफंड क्लेम कर सकते हैं।
अब जानते हैं कि TDS on Rent क्या है, कब कटता है, और अगर ज्यादा कट गया है तो उसे वापस कैसे पाएं।
TDS on Rent
पॉइंट | डिटेल्स |
लागू सेक्शन | Section 194I, Section 194IB |
किन पर लागू | Individuals, HUFs, कंपनियां, फर्म आदि |
लिमिट | ₹50,000/माह से ज्यादा किराए पर |
रेट (Rate) | 1 अक्टूबर 2024 से 2% (पहले 5%) |
किस पर कटता है | मकान, ऑफिस, दुकान, जमीन, प्लांट, मशीनरी आदि |
कौन काटता है | किरायेदार (Tenant) |
किसका PAN जरूरी | मकान मालिक और किरायेदार दोनों का |
कब कटता है | हर महीने किराया देते समय या साल के आखिर में |
TDS जमा करने का तरीका | ऑनलाइन चालान 26QC के जरिए |
ज्यादा कटने पर | रिफंड क्लेम किया जा सकता है |
रिफंड कैसे मिलेगा | ITR फाइल करके या TRACES पोर्टल से रिक्वेस्ट करके |
रिफंड कब मिलेगा | ITR प्रोसेस के बाद, आमतौर पर 1-6 महीने में |
TDS on Rent से जुड़ी जरूरी बातें
- अगर किराया ₹50,000/माह से कम है, तो TDS नहीं कटेगा।
- मकान मालिक का PAN देना जरूरी है, नहीं तो TDS 20% तक कट सकता है।
- TDS हर महीने काटना होता है, लेकिन कुछ मामलों में साल के आखिर में भी काट सकते हैं।
- TDS काटने के बाद 30 दिन के अंदर सरकार को चालान के जरिए जमा करना जरूरी है।
- जमा करने के बाद Form 16C मकान मालिक को देना जरूरी है।
TDS on Rent Overdeducted: ज्यादा कट गया तो क्या करें?
कई बार TDS की दर बदल जाती है या गलती से ज्यादा TDS कट जाता है। उदाहरण के लिए, 2024-25 में बहुत से किरायेदारों ने 5% की जगह 2% की जगह 5% TDS काट लिया। ऐसे में मकान मालिक के Form 26AS में सिर्फ 2% ही दिख रहा है, जबकि असल में 5% जमा हो चुका है।
ऐसी स्थिति में दो विकल्प होते हैं:
- किरायेदार अगले महीने में एडजस्ट कर सकता है – अगर मकान मालिक मान जाए।
- अगर एडजस्ट नहीं हो सकता, तो रिफंड क्लेम करें – इसके लिए आपको ऑनलाइन प्रक्रिया अपनानी होगी।
ज्यादा कटा हुआ TDS वापस पाने की आसान प्रक्रिया
1. TRACES पोर्टल पर लॉगिन करें
- सबसे पहले TRACES (TDS Reconciliation Analysis and Correction Enabling System) वेबसाइट पर जाएं।
- अपने TAN और पासवर्ड से लॉगिन करें।
2. Refund Request के लिए अप्लाई करें
- “Statement Payment” टैब में जाकर “Request for Refund” ऑप्शन चुनें।
- Refund Checklist को पढ़ें और “Proceed” पर क्लिक करें।
3. सही Section और कारण चुनें
- Section code चुनें (जैसे, Refund Request for Challan other than sec. 195)।
- Refund का कारण चुनें (जैसे, Excess Payment)।
- चालान डिटेल्स भरें और “Add Challan” पर क्लिक करें।
4. बैंक डिटेल्स और अन्य जानकारी भरें
- बैंक अकाउंट डिटेल्स (जहां रिफंड चाहिए) भरें।
- Appeal order number या अन्य जरूरी डिटेल्स भरें (अगर लागू हो)।
5. Verification और Submit
- Verification पेज पर जाकर “Proceed” करें।
- Confirmation पेज पर “Submit Refund Request” पर क्लिक करें।
6. Digital Signature Certificate (DSC) लगाएं
- डिजिटल सिग्नेचर से वेरीफाई करें।
7. Form 26B जमा करें
- Form No. 26B का acknowledgement 14 दिन के अंदर Assessing Officer को देना जरूरी है।
- अगर रिफंड ₹50 लाख से ज्यादा है, तो ADC से अप्रूवल लगेगा।
8. Refund Request Track करें
- “Track Refund Request” ऑप्शन से अपने रिफंड की स्थिति जान सकते हैं।
9. डॉक्युमेंट्स तैयार रखें
- जरूरत पड़ने पर बैंक स्टेटमेंट, Indemnity Bond आदि मांगे जा सकते हैं।
10. ITR फाइल करके रिफंड क्लेम करें (दूसरा तरीका)
- ITR फाइल करते समय सभी इनकम, TDS डिटेल्स और बैंक अकाउंट भरें।
- अगर कुल TDS, टैक्स लायबिलिटी से ज्यादा है, तो रिफंड क्लेम हो जाएगा।
- ITR प्रोसेस के बाद रिफंड सीधे बैंक अकाउंट में आ जाएगा।
TDS Refund Status कैसे चेक करें?
- अपने ई-फाइलिंग अकाउंट में लॉगिन करें।
- E-file > Income Tax Returns > View Filed Returns पर जाएं।
- Assessment Year चुनें और ‘view details’ पर क्लिक करें।
- ‘Refund Status’ लिंक पर क्लिक करके रिफंड की स्थिति देखें।
Refund Status Table
Refund Status | मतलब | क्या करें? |
Refund Paid | रिफंड मिल चुका है | बैंक में चेक करें |
No Demand No Refund | न टैक्स देना है, न रिफंड मिलेगा | कोई एक्शन नहीं |
Refund Unpaid | बैंक डिटेल्स में गड़बड़ी | बैंक डिटेल्स अपडेट करें, Reissue Request डालें |
Not Determined | ITR अभी प्रोसेस नहीं हुआ | कुछ दिन बाद दोबारा चेक करें |
Refund Forwarded to Banker | रिफंड बैंक को भेजा गया | कुछ दिन इंतजार करें |
Demand Determined | टैक्स बकाया है | बकाया टैक्स जमा करें या रेक्टिफिकेशन फाइल करें |
Rectification Processed Refund | रिफंड फिर से कैलकुलेट हुआ है | बैंक में चेक करें |
Rectification Processed Demand | टैक्स बकाया है | टैक्स जमा करें |
Rectification Processed No Demand No Refund | न टैक्स, न रिफंड | कोई एक्शन नहीं |
TDS Refund से जुड़े जरूरी नियम और बातें
- रिफंड ₹100 से कम हो तो नहीं मिलेगा।
- रिफंड टैक्स पेबल का 10% से कम हो तो भी नहीं मिलेगा।
- अगर रिफंड में देरी होती है, तो सरकार 0.5% प्रतिमाह (6% सालाना) ब्याज देती है।
- रिफंड का ब्याज ‘Income from Other Sources’ में टैक्सेबल है।
- बैंक अकाउंट प्री-वैलिडेटेड होना चाहिए, नहीं तो रिफंड फेल हो सकता है।
- PAN और बैंक अकाउंट डिटेल्स मैच होनी चाहिए।
TDS on Rent से जुड़े कुछ जरूरी टिप्स
- हमेशा सही TDS रेट पर टैक्स काटें।
- PAN डिटेल्स सही भरें।
- चालान समय पर जमा करें।
- मकान मालिक को Form 16C जरूर दें।
- रिफंड के लिए बैंक अकाउंट प्री-वैलिडेटेड रखें।
- ITR समय पर फाइल करें।
निष्कर्ष
TDS on Rent एक जरूरी टैक्स नियम है, जिससे सरकार को एडवांस में टैक्स मिल जाता है और टैक्स चोरी पर रोक लगती है। लेकिन कई बार जानकारी की कमी या नियमों में बदलाव के कारण TDS ज्यादा कट जाता है।
अगर आपके साथ भी ऐसा हुआ है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। आप बहुत ही आसान तरीके से ज्यादा कटे हुए TDS का रिफंड क्लेम कर सकते हैं-चाहे TRACES पोर्टल के जरिए हो या ITR फाइल करके। बस आपको सही डॉक्युमेंट्स और प्रोसेस का पालन करना है।
Disclaimer: यह आर्टिकल सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए है। TDS on Rent का नियम पूरी तरह असली और लागू है। अगर आपके साथ ज्यादा TDS कटने की स्थिति आई है, तो ऊपर बताए गए तरीकों से आप रिफंड क्लेम कर सकते हैं।
सरकार ने रिफंड प्रक्रिया को ऑनलाइन और आसान बना दिया है, लेकिन कभी-कभी TRACES पोर्टल या सिस्टम में तकनीकी गड़बड़ी के कारण दिक्कत आ सकती है। ऐसे में धैर्य रखें और जरूरत पड़ने पर अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट या टैक्स कंसल्टेंट से सलाह जरूर लें।