2 बड़े रेलवे स्टेशनों के बदले नाम! अब इस नाम से होगी पहचान IRCTC New Update 2025

भारत में रेलवे स्टेशन केवल यात्रा के लिए नहीं, बल्कि देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान का भी बड़ा हिस्सा हैं। समय-समय पर इन रेलवे स्टेशनों के नाम बदलना कोई नई बात नहीं है। कई बार यह बदलाव स्थानीय लोगों की मांग पर होता है, तो कई बार ऐतिहासिक या सांस्कृतिक कारणों से। हाल ही में भारतीय रेलवे ने दो बड़े रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने का फैसला लिया है। यह फैसला न केवल यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे स्थानीय संस्कृति और इतिहास के सम्मान के रूप में भी देखा जा रहा है। नए नामों से यात्रियों को स्टेशन की पहचान में आसानी होगी और स्थानीय लोगों को अपनी विरासत पर गर्व महसूस होगा।

रेलवे स्टेशन के नाम बदलने की प्रक्रिया आसान नहीं होती। इसके लिए राज्य सरकार केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजती है, जिसे गृह मंत्रालय और रेल मंत्रालय की मंजूरी मिलती है। जब किसी शहर या स्थान का नाम बदलता है, तो वहां के रेलवे स्टेशन का नाम भी बदला जाता है। इस प्रक्रिया में स्थानीय लोगों की भावनाओं का भी ध्यान रखा जाता है। हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय जंक्शन और इलाहाबाद जंक्शन के नाम बदलकर क्रमशः पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन और प्रयागराज जंक्शन कर दिए गए हैं। यह कदम न केवल प्रशासनिक है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी काफी अहम है।

Two Major Railway Stations Renamed: All You Need to Know

भारत में रेलवे स्टेशनों के नाम बदलना कोई नई बात नहीं है। लेकिन जब बड़े और प्रसिद्ध रेलवे स्टेशनों के नाम बदले जाते हैं, तो यह पूरे देश में चर्चा का विषय बन जाता है। साल 2025 में भारतीय रेलवे ने दो बड़े रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने का ऐतिहासिक फैसला लिया। इन स्टेशनों के नाम बदलने के पीछे कई कारण हैं – स्थानीय संस्कृति का सम्मान, ऐतिहासिक महत्व, और क्षेत्रीय पहचान को बढ़ावा देना। नए नामों से न केवल यात्रियों को सुविधा होगी, बल्कि यह स्थानीय लोगों की भावनाओं का भी सम्मान करता है।

नीचे टेबल में इन दोनों प्रमुख रेलवे स्टेशनों के नाम परिवर्तन का संक्षिप्त विवरण दिया गया है:

विशेषताजानकारी
पुराने नाममुगलसराय जंक्शन, इलाहाबाद जंक्शन
नए नामपंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन, प्रयागराज जंक्शन
राज्यउत्तर प्रदेश
नाम बदलने का वर्ष2025
नाम बदलने का कारणऐतिहासिक, सांस्कृतिक और स्थानीय मांग
मुख्य लाभस्थानीय पहचान, यात्री सुविधा, पर्यटन में वृद्धि
प्रक्रियाराज्य सरकार प्रस्ताव, केंद्र की मंजूरी
अपडेट कहाँ-कहाँप्लेटफॉर्म, टिकट, वेबसाइट, मोबाइल ऐप

नाम बदलने की प्रक्रिया (Renaming Process)

रेलवे स्टेशन का नाम बदलने के लिए सबसे पहले राज्य सरकार केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजती है। यह प्रस्ताव गृह मंत्रालय और रेल मंत्रालय के पास जाता है। दोनों मंत्रालयों की मंजूरी के बाद ही नाम बदलने की प्रक्रिया पूरी होती है। इसके बाद रेलवे अपने सभी प्लेटफॉर्म, टिकट, वेबसाइट और मोबाइल ऐप पर नए नाम अपडेट करता है। यात्रियों को सलाह दी जाती है कि टिकट बुक करते समय नए नाम का ध्यान रखें।

रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने के प्रमुख कारण

रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण होते हैं:

  • स्थानीय संस्कृति और इतिहास का सम्मान: नए नाम स्थानीय इतिहास और संस्कृति को दर्शाते हैं, जिससे लोगों को अपनी विरासत पर गर्व होता है।
  • राजनीतिक और सामाजिक कारण: कई बार राजनीतिक या सामाजिक कारणों से भी नाम बदले जाते हैं।
  • पर्यटन में वृद्धि: धार्मिक या ऐतिहासिक महत्व वाले नामों से पर्यटन को बढ़ावा मिलता है।
  • यात्रियों की सुविधा: नए नामों से यात्रियों को स्टेशन की पहचान में आसानी होती है।
  • स्थानीय लोगों की मांग: कई बार स्थानीय जनता की मांग पर भी नाम बदले जाते हैं।

मुगलसराय जंक्शन बना पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन

उत्तर प्रदेश का मुगलसराय जंक्शन देश के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों में से एक है। इस स्टेशन का नाम बदलकर अब पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन कर दिया गया है। यह बदलाव 2025 में लागू हुआ। पंडित दीनदयाल उपाध्याय भारतीय जनसंघ के प्रमुख नेता थे, जिनका पार्थिव शरीर 1968 में इसी स्टेशन पर मिला था। उनकी स्मृति में स्टेशन का नाम बदला गया। नया नाम स्थानीय संस्कृति और ऐतिहासिक महत्व को दर्शाता है।

नाम बदलने के बाद यात्रियों पर असर

  • टिकट बुकिंग: अब टिकट बुक करते समय यात्रियों को नए नाम का ध्यान रखना होगा।
  • जानकारी में सुधार: प्लेटफॉर्म, साइनबोर्ड, वेबसाइट और मोबाइल ऐप पर नया नाम दिखाई देगा।
  • स्थानीय गर्व: स्थानीय लोगों को अपनी पहचान और इतिहास पर गर्व महसूस होगा।

इलाहाबाद जंक्शन बना प्रयागराज जंक्शन

इलाहाबाद जंक्शन, जो अब प्रयागराज जंक्शन के नाम से जाना जाता है, उत्तर भारत का एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है। इलाहाबाद शहर का नाम भी 2018 में बदलकर प्रयागराज कर दिया गया था, उसी के अनुरूप रेलवे स्टेशन का नाम भी बदला गया। प्रयागराज का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत बड़ा है, खासकर कुंभ मेले के कारण। नया नाम शहर की सांस्कृतिक विरासत को सम्मान देता है।

प्रयागराज जंक्शन के फायदे

  • धार्मिक पर्यटन: प्रयागराज का नाम धार्मिक महत्व को दर्शाता है, जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
  • स्थानीय पहचान: नए नाम से शहर और स्टेशन दोनों की पहचान मजबूत होगी।
  • यात्रियों की सुविधा: यात्रियों को स्टेशन की पहचान में आसानी होगी।

अन्य प्रमुख रेलवे स्टेशनों के बदले नाम

भारत में कई अन्य रेलवे स्टेशनों के भी नाम बदले गए हैं। नीचे कुछ प्रमुख उदाहरण दिए गए हैं:

  • हबीबगंज रेलवे स्टेशन (भोपाल): अब रानी कमलापति रेलवे स्टेशन
  • फैजाबाद जंक्शन: अब अयोध्या कैंट
  • ओशिवारा रेलवे स्टेशन (महाराष्ट्र): अब राम मंदिर रेलवे स्टेशन
  • चर्चगेट रेलवे स्टेशन (मुंबई): अब चिंटामन द्वारकानाथ देशमुख रेलवे स्टेशन
  • उधमपुर रेलवे स्टेशन (जम्मू कश्मीर): अब शहीद कैप्टन तुषार महाजन रेलवे स्टेशन
  • पनकी रेलवे स्टेशन (कानपुर): अब पनकी धाम स्टेशन

नाम बदलने की प्रक्रिया और नियम

रेलवे स्टेशन का नाम बदलना एक लंबी प्रक्रिया है, जिसमें निम्नलिखित कदम होते हैं:

  • राज्य सरकार की पहल: सबसे पहले राज्य सरकार नाम बदलने का प्रस्ताव बनाती है।
  • केंद्र सरकार की मंजूरी: प्रस्ताव गृह मंत्रालय और रेल मंत्रालय को भेजा जाता है।
  • प्रशासनिक प्रक्रिया: दोनों मंत्रालयों की मंजूरी के बाद रेलवे विभाग नाम बदलने की प्रक्रिया शुरू करता है।
  • सूचना और अपडेट: सभी प्लेटफॉर्म, टिकट, वेबसाइट, मोबाइल ऐप और साइनबोर्ड पर नया नाम अपडेट किया जाता है।
  • यात्रियों को सूचना: यात्रियों को नए नाम के बारे में सूचित किया जाता है ताकि टिकट बुकिंग में कोई दिक्कत न हो।

नाम बदलने के फायदे

  • स्थानीय संस्कृति का सम्मान
  • यात्रियों की सुविधा में वृद्धि
  • पर्यटन को बढ़ावा
  • सामाजिक एकता और गर्व
  • स्थानीय मांग का सम्मान

नाम बदलने के नुकसान

  • पुराने नामों की पहचान खत्म होना
  • प्रशासनिक खर्च और समय
  • शुरुआती भ्रम और असुविधा
  • ऐतिहासिक दस्तावेजों में बदलाव की जरूरत

यात्रियों के लिए जरूरी बातें

  • टिकट बुक करते समय नए नाम का ध्यान रखें।
  • रेलवे की वेबसाइट या मोबाइल ऐप पर नया नाम देखें।
  • यदि कोई कन्फ्यूजन हो तो रेलवे पूछताछ केंद्र से जानकारी लें।
  • पुराने नाम से स्टेशन की पहचान न करें, नए नाम का ही इस्तेमाल करें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)

Q1: क्या पुराने नाम से टिकट बुक हो सकता है?
नहीं, अब टिकट बुकिंग में नए नाम का ही इस्तेमाल होगा।

Q2: नाम बदलने से यात्रियों को क्या फायदा होगा?
यात्रियों को स्टेशन की पहचान में आसानी होगी और स्थानीय संस्कृति को सम्मान मिलेगा।

Q3: नाम बदलने की प्रक्रिया कितनी लंबी है?
यह प्रक्रिया राज्य सरकार के प्रस्ताव से शुरू होकर केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद पूरी होती है, जिसमें कुछ महीने लग सकते हैं।

Q4: क्या अन्य स्टेशनों के नाम भी बदले जा सकते हैं?
हाँ, स्थानीय मांग या ऐतिहासिक कारणों से अन्य स्टेशनों के नाम भी बदले जा सकते हैं।

निष्कर्ष

रेलवे स्टेशनों के नाम बदलना केवल प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि यह देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान को भी दर्शाता है। मुगलसराय जंक्शन का नाम पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन और इलाहाबाद जंक्शन का नाम प्रयागराज जंक्शन करना स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान है। इससे न केवल यात्रियों को सुविधा होगी, बल्कि स्थानीय संस्कृति और इतिहास को भी बढ़ावा मिलेगा।

Disclaimer:

यह जानकारी हाल ही में हुए रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने के फैसले पर आधारित है। नाम बदलने की प्रक्रिया पूरी तरह से सरकारी आदेश और प्रशासनिक मंजूरी के बाद ही होती है। यदि आपको किसी स्टेशन के नाम को लेकर कन्फ्यूजन है, तो रेलवे के आधिकारिक प्लेटफॉर्म से जानकारी प्राप्त करें। यह स्कीम और नाम परिवर्तन पूरी तरह से असली और सरकारी आदेश पर आधारित है, इसमें कोई फर्जीवाड़ा या अफवाह नहीं है।

Author

  • Kajal Kumari

    Kajal Kumari is an experienced writer with over 7 years of expertise in creating engaging and informative content. With a strong educational background in literature and communication.

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